सबको पढ़नी चाहिए गांधी-नेहरू पर लिखी खगेंद्र जी की पुस्तक
प्रसिद्ध आलोचक खगेंद्र ठाकुर की पहली पुण्यतिथि पर प्रदेशभर के साहित्यकार, रंगकर्मी पटना में जुटे। वक्ताओं ने उनकी तुसना मीठे पानी से की।
प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस), पटना की ओर से हिंदी के प्रख्यात आलोचक खगेन्द्र ठाकुर की पहली पुण्यतिथि के अवसर खगेन्द्र ठाकुर : व्यक्तित्व व कृतित्व विषय पर विमर्श का आयोजन मैत्री शांति भवन में किया गया। प्रलेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य सुनीता गुप्ता ने कहा-खगेन्द्र ठाकुर का जीवन एक मीठा पानी जैसा रहा। उनकी कविताओं में उनके स्वप्न, संघर्ष झलकते हैं।
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चर्चित कथाकार संतोष दीक्षित ने कहा-खगेन्द्र ठाकुर छोटी से छोटी किस्म की गोष्ठियों में भी मौजूद रहा करते थे। एक बार नामवर सिंह ने कहा था कि नलिन विलोचन शर्मा के बाद जो एक शून्य आ गया था उसे खगेन्द्र जी ने ही भरा। साम्प्रदायिकता पर उनकी लिखी पुस्तिका आज भी रौशनी डालती है।
प्रोफ़ेसर अरुण कुमार ने भी उसे जुड़ी यादें साझा कीं। खगेन्द्र ठाकुर के पुत्र भास्कर ने कहा- वे बहुत अनुशासित व्यक्ति थे। नामवर जी के निमित कार्यक्रम के दौरान में उन्हींने वक्ताओं की सूची से लालू प्रसाद, नीतीश कुमार सरीखे नेताओं का नाम काट दिया। नागार्जुन के बारे में एक नेता कुछ गलत बात बोल रहे थे तो पिता जी ने कहा कि कया कारण है कि आपका चेहरा नहीं छपता और नागार्जुन के पांव की भी तस्वीर छप जाती है। प्रलेस के उपमहासचिव अनीश अंकुर ने कहा- सोवियत संघ के विघटन के बाद बहुत साहित्यकार मार्क्सवाद की अपनी प्रतिबद्धता को शंका की दृष्टि से देखने लगे थे। लेकिन खगेन्द्र जी के मन में कोई उलझन न थी। वासदेवशरण अग्रवाल, नागार्जुन और दिनकर पर उनका काम बहुत दुर्लभ किस्म का था। भारत के चार नेताओं गांधी, नेहरू, लोहिया और जयप्रकाश पर उनकी किताब सबको पढ़नी चाहिए।
रवींद्र नाथ राय, केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान के अशोक कुमार सिन्हा, इंजीनियर सुनील ने भी खगेन्द्र जी से जुड़ी यादें साझा कीं। सभा को आनन्द शर्मा, जीतेन्द्र कुमार, युवा नेता राहुल ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता सर्वोदय शर्मा ने की। पूनम सिंह और अरुण कमल का संदेश भी सुनाया गया। सभा में कपिलदेव वर्मा, जीतेन्द्र कुमार, विनीत राय, पुष्पेंद्र शुक्ला, लता पराशर, मीर सैफ अली, राहुल कुमार, राकेश राज, गोपाल शर्मा मैजूद थे।