Agnipath : उग्र हुआ आंदोलन, कृषि कानूनों जैसी पलटी मारेंगे मोदी
अग्निपथ के खिलाफ बिहार से शुरू हुआ आंदोलन सात राज्यों में फैल गया। बोगियों में आगजनी। हरियाणा में फायरिंग। क्या तीन कृषि कानूनों की तरह पलटी मारेंगे मोदी।
इसे कहते हैं सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना। केंद्र की मोदी सरकार ने बड़े तामझाम के साथ सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की। दूसरे दिन बिहार ने विरोध का बिगुल फूंक दिया। बक्सर, मुजफ्फरपुर और बेगूसराय में सेना भर्ती की तैयारी करनेवाले युवकों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। घोषणा के तीसरे दिन आज आंदोलन बिहार के अलावा यूपी, राजस्थान, हरियाणा और उत्तरखंड में फैल गया। हरियाणा में पुलिस ने फैायरिंग की है। इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। बिहार के दर्जनों जिलों में आज युवकों ने कहीं नेशनल हाइवे जाम कर दिया, तो कहीं रेल पटरी पर बैठ गए। छपरा सहित कुछ अन्य जिलों से भी रेल बोगियों को आग के हवाले करने की खबरें आ रही हैं। मधुबनी में सैकड़ों युवा भाजपा कार्यालय में घुस गए और फर्नीचर तोड़ डाले।
सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार किसान आंदोलन के आगे झुके और तीन कृषि कानून को वापस लिया, उसी तरह एक बार फिर अग्निपथ योजना को पावस लेंगे? तीन कृषि कानूनों को लागू करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने किसान संगठनों से राय तक नहीं पूछी थी और इस बार भी सेना की भर्ती को ठेके पर देने से पहले किसी से राय नहीं ली। नतीजा सामने है।
अग्निपथ योजना का तीन तरह से विरोध हो रहा है। सबसे बड़ा विरोध युवाओं का है। उनका सवाल है कि चार साल के बाद वे क्या करेंगे? सेना में आईएएस अफसर या बड़े पैसेवालों के बेटे नहीं जाते हैं, सेना में किसान के बेटे जाते हैं। सेना में भर्ती होना उनका सपना होता है। यही एक रास्ता है, जिसमें वे अपने और अपने परिवार के लिए कोई सपना देख सकते हैं। अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है। दूसरा विरोध देशभक्त पूर्व सैनिक अधिकारियों-रजानीतिक दलों का है। उनका कहना है कि यह योजना देश की सुरक्षा को खतरे में डाल देगी। तीसरा विरोध समाजशास्6यों का है। वे बता रहे हैं कि चार साल के बाद हजारों की संख्या में हर साल सैनिक ट्रोनिंग लेनेवाले बेरोजगार होंगे। यह समाज का सौन्यीकरण होगा, जिसके खतरनाक नतीजे होंगे।
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