छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन लागू हुई, नेतृत्वविहीन हुआ बिहार
आज छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पुरानी पेंशन लागू कर दी। बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद कह चुके कि बिहार में नहीं मिलेगी, फिर भी कहीं कोई प्रतिवाद नहीं।
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देशभर में सरकारी कर्मियों की आज सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन स्कीम है। पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया। फिर अन्य राज्यों ने लागू करने की घोषणा की। आज छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा कर दी। उसके बाद सोशल मीडिया में #Bhupesh_hai_toh_bharosa_hai लगातार ट्रेंड कर रहा है। देशभर के कर्मचारी बधाई दे रहे हैं।
बड़ा सवाल यह है कि बिहार के कर्मचारी चुप क्यों हैं? पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के लिए आंदोलन का केंद्र इस बार उत्तर प्रदेश बना। वहां भाजपा ने इसे देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद आंदोलन और भी तेज हो गया, जिसका नतीजा था कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार बनने पर पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा कर दी।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने दो दिन पहले बिहार निधानसभा में स्पष्ट कर दिया कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का कोई विचार नहीं चल रहा है। इसके बाद भी बिहार के कर्मचारियों की तरफ से कोई प्रतिवाद देखने को नहीं मिला। क्या यह बिहार में नेतृत्व का अभाव दिखाता है? या बिहार के कर्मचारी अब भी डबल इंजन की सरकार के प्रति मोहजाल में फंसे हैं या पुरानी पेंशन पर भाजपा का हिंदुत्व भारी है?
राज्य कर्मचारियों के महासंघ (गोप गुट) के नेता रामबली सिंह ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया कि उन्हें विश्वास है कि बिहार में भी जल्द ही आंदोलन शुरू होगा। पुरानी पेंशन (ओपीएस) लागू करने के लिए बिहार में मोर्चा भी बना है। महासंघ का सम्मेलन जून में होना तय है। उससे पहले संगठन इस मुद्दे पर कर्चारियों के बीच जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कर्मचारियों के जीवन-मरण का प्रश्न है।
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