(गोली मारो सा.. को) धर्म के नाम पर नफरत, कहां आ गए हम : SC
जब नफरत की राजनीति करनेवालों नेताओं व उसे हवा देनेवाली गोदी मीडिया ने देश की हवा में जहर घोल दिया, तब सुप्रीम कोर्ट चकित, कहा- ये कहां पहुंच गए हम..।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ये 21 वीं सदी है। और धर्म के नाम पर नफरत फैलाई जा रही है। हम कहां पहुंच गए हैं। कोर्ट ने नफरती बयान देनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया, चाहे ऐसे लोग किसी भी धर्म के हों। कोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा उत्तराखंड के पुलिस प्रमुखों को दिया है। कोर्ट ने नफरती बयानों के विरुद्ध याचिका की सुनवाई करते हुए जूनियर ऑफिसरों को भी ऐसे मामलों में तुरत कार्रवाई का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसे नफरती बयान शर्मनाक है।
भाजपा के जिस नेता ने एक धर्म विशेष के खिलाफ गोली मारो सा.. को नारा लगाया, वे आज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं। भारत सरकार के सम्मानित मंत्री! अभी हफ्ते भर पहले भाजपा के एक दूसरे सांसद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद की सभा में मुसलमानों के खिलाफ लोगों को खुलेआम भड़काया। उनसे कोई सामान नहीं खरीदने, उन्हें मजदूरी नहीं देने को कहा। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। खैर अब सुप्रीम कोर्ट चकित है। कोर्ट ने कहा कि ये 21 वीं सदी है और धर्म के नाम पर नफरत। ये कहां आ गए हैं हम।
मुस्लिम महिलाओं खासकर पत्रकार और सामाजिक रूप से सक्रिय महिलाओं को रेप तक की धमकी दी जाती है। भद्दी गालियां दी जाती हैं, जिन्हें हम लिख नहीं सकते। चारों तरफ विषैला माहौल बना दिया गया है। अंग्रेजों की बांटो और राज करो का भारतीय संस्करण नंगा नाच कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी तथा जस्टिस सीटी रवि कुमार ने इस संदर्भ में विभिन्न राज्यों को नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने नफरती बयानों पर निर्देश देने की अपील की थी। सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का लोग स्वागत कर रहे हैं।
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