हजरत बिलाल: जिनकी मधुर आज़ान के पैगम्बर ए इस्लाम भी थे कायल

अफ्रीकी गुलाम और पैगम्बर मोहम्मद के साथियों में से एक, बिलाल बिन राबह इस्लाम के पहले मुज्जिन ( आजान देने वाला) थे, जिन्हें आधुनिक इस्लामिक स्टडीज और अमेरिकन अफ्रीकन मुस्लिम धर्म प्रचारों  और साथ ही अंतरदेशीय, अंतर सांस्कृतिक, अंतरप्रजातीय तथा अंतरभाषिक स्तर पर इस्लाम का प्रतिनिधित्व करने की संकल्पना में अत्यंत सम्मानजनक स्थान प्राप्त है.

बिलाल का जन्म 580 ईस्वी में मक्का  में एक अबीसीनी ( इथोधियाई) गुलाम के रूप में हुआ था, जिन्हें पैगम्बर मोहम्मद के माध्यम से अल्लाह का संदेश स्वीकार कर लेने के कारण जल्दी ही गुलामी से मक्त कर दिया गया था.

इसके बाद वह पैगम्बर के ही एक साथी बन गये और उन्होंने खुद को उस समय फैल रही आस्था के द्वारा  छेड़े जा रहे मुख्य सैन्य अभियानों के साथ जोड़ दिया. जिसमें 630 ई. की बद्र की लड़ाई भी शामिल है. इस  लड़ाई में मुसलमानों ने अपनी सेना से तीनगुनी  बड़ी सेना को पराजित किया था.

जिहाद का अर्थ टकराव या यु्द्ध नहीं बल्कि पवित्र मकसद की प्राप्ति के लिए संघर्ष का नाम है

मक्का की आजादी के बाद में बिलाल, जिन्हें पैगंबर द्वारा बहुत पहले ही सबसे पहला मोअज्जिन ( अजान देने वाला) बनने के लिए चुन लिया गया था, इस्लाम के पवित्र शहर काबा में एक ऊंचाई पर चढ़ कर सभी मुस्लिम अनुयायियों को प्रार्थना करने के लिए बुलाया.

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बिलाल अपनी असाधारण रूप से मधुर और सुरीली आवाज के कारण मक्का के एक सफल एवं सम्मानीय और लोकप्रिय मोअज्जिनन बन गये. वह इस्लाम के उस रूप का प्रतीक बन गये जो मानव जाति को उसकी राष्ट्रीय मानव जाति प्रजाति अथवा वर्ग कि पृष्ठभूमि में नहीं बल्कि तकवा के आधार पर परिभाषित करता है.

ऐ लोगों तुम्हारा खुदा एक है और तुम एक ही पिता की संतान हो. किसी अरब वासी को गैर अरब वासी पर तरजीह नहीं दी जाती और ना ही गैर अरब वासी को अरबवासी पर ना ही गोरे को काले पर तरजीह दी जाती है.

(मार्च 632 में अरारत पर्वत पर पैगम्बर द्वारा  दिये गये विदाई भाषण अलबुखारी के अंश.)

 

इस्लाम कभी भी गोरे और कालों, अफ्रीकियों और अफगानियों में तथा लावेंटआइन और ओरियंटाइन में भेद नहीं करता.और सभी मुस्लिमों को उमा के बंधुओं के समान ही देखता है. इस्लाम के इतिहास में कभी भी किसी भी आज़ान को इतनी स्पष्टता से परिभाषित नहीं किया गया है जितना पैगंबर मोहम्मद के साथ महान योद्धा और मोअज्जिन बिलाल बिन रब्बा द्वारा दी गई अजान को किया गया है.

By Editor