जाति गणना का सेलेब्रेशन शुरू, ढोल-बाजा लेकर निकले अतिपिछड़े
जाति गणना का सेलेब्रेशन शुरू, ढोल-बाजा लेकर निकले अतिपिछड़े। जदयू कार्यालय में अतिपिछड़ों ने मनाया उत्सव। बांटीं मिठाइयां। नीतीश ने कही बड़ी बात।
बिहार में जाति गणना के आंकड़े सामने आने के दो दिन बाद बुधवार को अतिपिछड़ों ने सेलेब्रेशन शुरू कर दिया। आज जदयू कार्यालय में अतिपिछड़ों ने ढोल-बाजे के साथ उत्सव मनाया। नीतीश कुमार जिंदाबाद के नारे लगते रहे। कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि देशभर में होना चाहिए जाति सर्वे। इसी से वंचितों और कमजोर वर्ग के लोगों की सही संख्या और आर्थिक स्थिति का पता चलेगा।
पटना में जदयू कार्यालय में आज सुबह से अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के नेता और कार्यकर्ता जुटने लगे थे। दोपहर होते-होते जाति गणना की खुशी में उत्सव शुरू हो गया। महिलाओं ने गले में ढोल लेकर खूब उत्सव मनाया। पीछे जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के सारे नेता भी खुशी मनाते दिखे। नीतीश कुमार जिंदाबाद के नारे लगते रहे। नेताओं ने कहा कि जाति गणना आने के बाद अब अतिपिछड़ों को सही न्याय मिलेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार देश का पहला राज्य बन गया है जिसने राज्य में जाति सर्वे, आर्थिक-सामाजिक सर्वे सफलतापूर्वक संपन्न कराया है। पूरे देश में जाति सर्वे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे जब केंद्र में मंत्री थे, तभी से देश में जाति गणना कराने की मांग करते रहे हैं।
बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट आने के बाद पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी हंगामा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में भी जाति सर्वे की मांग कर दी है। उन्होंने कहा बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित : ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार। जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक़ के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी।जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए। जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक़्क़ी के रास्ते में आनेवाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताक़तवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का ख़ात्मा भी करते हैं। इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक़्क़ी का रास्ता है।
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