Jharkhand में सरकारी सहयोग से अब कैफे खोल रहीं महिलाएं
सरकारी सहयोग से हर प्रदेश में ग्रामीण महिलाएं खेती-किसानी और छोटे रोजगार कर रही हैं, लेकिन झारखंड में अब कैफे भी चला रहीं महिलाएं।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की सखी मंडल योजना की बहनें गांवों में खेती-किसानी से लेकर राशन दुकान तक चला रही हैं। पहले जो महिलाएं दैनिक मजदूर थीं, जहां काम की अनिश्चितता रहती थी, वे महिलाएं सखी मंडल से जुड़कर अब अपना रोजगार चला रही हैं।
इस बीच ग्रामीण विकास विभाग, झारखंड ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें एक महिला बता रही है कि किस प्रकार उसने आजीविका योजना के तहत सिर्फ 10 हजार रुपए ऋण लेकर कैफे खोला और आज वह सम्मान के साथ अपने पैर पर खड़ी है। साथ ही वह दूसरों को भी रोजगार दे रही है।
झारखंड ग्रामीण विकास विभाग ने ट्वीट करके बताया कि वह न सिर्फ महिलाओं को रोजगार दे रहा है, बल्कि उनमें उद्यमिता का विकास कर रहा है। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आजीविका दीदी कैफे के वीडियो को रिट्वीट किया।
झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के ट्विटर हैंडल पर आप जाएं, तो वहां आदिवासी और पिछडे समुदाय की महिलाओं की सफलता की कहानियां मिलेंगी। डीसी पाकुड़ ने आज ही ट्वीट करके कहा- लिट्टीपाड़ा प्रखंड स्थित गुतूगलांग कल्याण ट्रस्ट का निरीक्षण किया। बोरा सिलाई केंद्र के बारे में जानकारी ली एवं ट्रस्ट में कार्य कर रही पहाड़िया समुदाय की दीदियों से उनके कार्यो के विषय मे जाना। सभी दीदियों को इस कार्य के लिए उत्साहवर्धन किया।
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सरायकेला अंजाना केवर्ट की जिंदगी भी अब बदल गई है। उन्होंने सखी मंडल से 50000 का ऋण लेकर राशन दुकान में निवेश किया। कभी मात्र 200 रु के लिए स्कूल मे कूक का काम करने वाली अंजाना, आज अपनी दुकान से दिन भर में 1200 रुपये कमाती हैं। 20-25 हज़ार महीने की आमदनी हो जाती है। बदलाव की ये छोटी-छोटी कहानियां अन्य हजारों महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं।
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