लोकतांत्रिक जनता दल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने जेएनयू के छात्रावास की बढ़ायी गयी फीस के विरोध में छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग की है।
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श्री यादव ने नई दिल्ली में कहा कि जेएनयू छात्रावास की फीस बढाए जाने के विरोध में छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का वह समर्थन करते हैं । उन्होंने कहा कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद छात्रावास फीस बढ़ोतरी में जो कटौती की गई है वह मौजूदा दर से अभी भी ज्यादा है । इससे गरीब छात्रों को काफी कठिनाई होगी। इसलिए सरकार को गरीब छात्रों के हितों का ख्याल रखते हुए फीस वृद्धि के फैसले को वापस लेने का आदेश जेएनयू प्रशासन को देना चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर शिक्षा की लागत बढ़ा रही है और मीडिया के माध्यम से माहौल बना रही है कि जेएनयू जैसे संस्थान को मुफ्त में शिक्षा क्यों दी जाए। उन्होंने सरकार पर शिक्षा का बजट कम रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 3 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है जबकि अन्य देशों में शिक्षा का बजट जीडीपी का 6 से 7 प्रतिशत तक होता है।
श्री यादव ने कहा कि सरकार शिक्षा की व्यवस्था को सही करने के बजाए उसे तहस-नहस करने में लगी है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है । उन्होंने कहा कि यह सरकार ऐसा कार्य कर रही है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश के इच्छुक व्यवसायिक घरानों को मौका मिल सके । इस सरकार का प्रयास हर क्षेत्र को निजी कंपनियों को सौंपने का है जिसे देश बर्दाश्त नहीं कर सकता ।