भारत रत्न बादशाह खान: सव्तंत्रता और शांति के मसीहा

 भारत रत्न बादशाह खान: सव्तंत्रता और शांति के मसीहा

खान अब्दुल गफ्फार खान जिन्हें लोग बच्चा खान और बादशाह खान के नाम से जानते हैं, का जन्म 6 फरवरी 1890 को खैबर पख्तूनखा में एक योद्धा परिवार में हुआ था.

[box type=”success” ]उन्होंने अपना पूरा जीवन अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध को समर्पित कर दिया. समाज सेवा और राष्ट्रवाद उनके खून में शामिल था. वह महात्मा गांधी के बहुत निकट थे. अहिंसा और महिला सशक्तीकरण के लिये उनकी वचवबद्धता के कारण महात्मा गांधी उन्हें सीमांत गांधी के नाम से पुकारते थे. [/box]

योद्धा परिवार का नायक

उन्होंने अपना पूरा जीवन अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध को समर्पित कर दिया. समाज सेवा और राष्ट्रवाद उनके खून में शामिल था. वह महात्मा गांधी के बहुत निकट थे. अहिंसा और महिला सशक्तीकरण के लिये उनकी वचवबद्धता के कारण महात्मा गांधी उन्हें सीमांत गांधी के नाम से पुकारते थे.

खुदाई खिदमतगार आंदोलन

बादशाह खान ने पख्तुनिस्तान आंदोलन की शुरुआत की थी. खुदाई खिदमतगार संगठन की स्थापना बादशाह खान ने की थी जिसमें एक लाख से ज्यादा नौजवान शामिल थे.यह संगठन अहिंसक रूप से स्वतंत्रता आंदोलन चलाता था. अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की बहुत बड़ी प्रेरक शक्ति थे बादशाह खान.

1930 के डांडी मार्च में शामिल होने के कारण अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था. वह पाकिस्तान में रहते हुए भी दिल से भारतीय थे.

 

उनकी मृत्यु 20 फरवरी 1988 में पाकिस्तान के पेशावर में हुई और उन्हें उनके पैतृक शहर अफगानिस्तान के जलालाबाद में दफ्नाया गया.

 

उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाय जा सकता है कि उनके जनाजे में दो लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.

 

भारत के प्रति उनके लगाव के कारण 1987 में भारत सरकार ने अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा. सभी धर्मों के प्रति उनके सम्मान और गुलामी के प्रति उनके संघर्ष के कारण भारत के लोगों के दिलों में हमेशा जगह रहेगी.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427