खुर्शीद अहमद ने लीक से हटकर मुशायरे के आयोजन को दी नई ऊंचाई, लिख दिया नया इतिहास
खुर्शीद अहमद ने लीक से हटकर मुशायरे के आयोजन को दी नई ऊंचाई, लिख दिया नया इतिहास। मुशायरे को न सिर्फ वर्ल्डवाइड लुक दिया, बल्कि शेर व अदब को गुरबत व खस्ताहाली या यूं कहें कि सादगी से बाहर निकाल कर फाइवस्टार चमक-दमक भी बख्शी।
पहले से बनी हुई पगडंडियों पर चल कर मंजिल को पहुंचने के बजाये अपनी राह खुद बनाने का जोखिम उठाना एक बाहौसला इंसान ही कर सकता है. खुद की बनायी हुई पगडंडी पर आगे बढ़ना. रास्तों के तमाम कांटों, कील व पत्थरों को दुरुस्त करना और फिर अपने लक्ष्य को कामयाबी के साथ हासिल करना यकीनन एक जश्न से कम नहीं है. पिछले 13 अगस्त को कुछ ऐसा ही पटना लिटरेरी फेस्टिवल ने कर दिखाया. पटना लिटरेरी फेस्टिवल की टीम ने खुरशीद अहमद की कयादत में, स्थापित परम्परा से हट कर एक ऐसे मुशायरे का आयोजिन किया जिसका मकसद न सिर्फ मुशायरे को वर्लवाइड लुक देना था बल्कि शेर व अदब को गुरबत व खस्ताहाली या यूं कहें कि सादगी से बाहर से निकाल कर फाइवस्टार चमक-दमक भी बख्शना था.
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वर्ल्ड क्लास इवेंट आयोजित करना बड़ी चुनौती थी
पटना लिटरेरी फेस्टिवल ने कोई छह महीने पहले इस मिशन पर काम शुरू किया. यह एक अंतरराष्ट्रीय ईवेंट था. वर्लड क्लास ईवेंट के आयोजन की सबसे बड़ी चुनौती संसाधन और उसके प्रबंधन की होती है. लेकिन खुरशीद अहमद के पास प्रबंधन कौशल व समर्पित टीम तो थी, पर संसाधन एक बड़ा चैलेज बन कर सामने खड़ा था. पर एक सपना था जिसे पूरा करने का जज्बा, लगन व साहस पटना लिटरेरी फेस्टिवल ( PLF) की टीम के पास था. इस यात्रा में पहली सफलता यह मिली कि पीएलएफ के इस प्रोजेक्ट को ‘अंदाज ए बयां और, दुबई’ का साथ मिला. अंदाज ए बयां और पिछले अनेक वर्षो में वर्लड क्लास मुशायरे के आयोजन में अपनी बड़ी पहचान बना रखी है.
‘अंदाज ए बयां और, दुबई’ का साथ मिला, जिसे दुबई, अमेरिका में मुशायरा कराने का अनुभव था
दुबई व अमेरिका में इस को मुशायरे की अनेक सीरीजि आयोजित करने का तजुर्बा है. वर्लड क्लास सिटी में वर्लड क्लास आयोजन एक बात है. लेकिन पटना जैसे शहर में वर्लड क्लास आयोजन करने की उम्मीद अंदाज ए बयां और के संस्थापक रेहान सिद्दीकी व शाजिया किदवई को भी कत्तई नहीं थी. ऐसे में खुरशादी अहमद के हौसले और प्रबंधन कौशल ने रेहान व शाजिया को अपना कायल बना लिया. बल्कि यूं कहें कि खुरशादी ने इस मुशायरे में एक नये प्रयोग की पेशकश कर दी. यह पेशकश थी, मुशायरे में टिकट से एंट्री की. खुरशादी की इस पेशकश पर रेहान व शाजिया ने हामी तो भरी, पर उन्हें कंफिडेंस नहीं था कि मुशायरों के सुनने-देखने वाले पैसे खर्च करना चाहेंगे. ऐसा इसलिए भी कि अंदाज ए बयां और ने अब तक कोई ऐसा मुशायरा आयोजित करने का सास नहीं दिखाया था जिसमें टिकट से एंट्री दी गयी है. लेकिन खुरशीद के हौसले को देखते हुए रेहान व शाजिया भी इस बात पर मुत्तफिक हुए.
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भारत में पहला मुशायरा जिसकी टिकट बुकिंग बुक माई शो पर
अब तक भारत में साउथ व बॉलिवुड की फिल्मों के टिकट ही बुक माई शो जैसे आनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिकते रहे हैं, लेकिन संभवत: भारत में किसी मुशायरे सह कवि सम्मेलन का यह पहला आयोजन था जिसके टिकट बुक माई शो पर उपबल्बध कराये गये. इसके लिए पीएएलएफ ने अलग-अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म, सेशल मीडिया और न्यूजवेबसाइट्स का उपयोग किया. और देखते ही देखते इसके टिकट शोल्ड आउट हो गये. इतना ही नहीं, पहले 600 दर्शकों के लिए सीट नर्धारित की गयी थी. लेकिन डिमांड इतनी बढ़ी कि 200 अतिरिक्त सीटों का इंतजाम करना पड़ा.
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बदलती दुनिया के साथ पटना भी बदला है
इस संदर्भ में नौकरशाही डॉट कॉम से बात करते हुए खुरशीद अहमद कहते हैं- ” पैसों पर इंट्री टिकट की व्यवस्था करने के पीछ हमारा उद्देश्य केवल यह था कि हम यह प्रयोग करना चाह रहे थे कि शायरी की महफिलों में शिरकत करने के लिए लोगों के रुझान और उनकी सोच में बदलाव की आजमाइश करें. हम इस प्रयोग में सफल रहे. पटना के लोगों ने साबित कर दिया कि बदलते वक्त के साथ न सिर्फ वे बदले हैं बल्कि बदलाव को आत्मसात करने में दुनिया के किसी भी शहर से वो आगे हैं”.
पटना लिटरेरी फेस्टिवल को मिली ग्लोबल पहचान
पटना लिटरेरी फेस्टिवल को इस सफल आयोजन से बड़ा संबल मिला है. खुरशीद अहमद पटना लिटरेरी फेस्टिवल को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का सपना रखते हैं. वह कहते हैं, अदब व शायरी की दुनिया में पटना की अंतरराष्ट्रीय पहचान, पटना लिटरेरी फेस्टिवल ( PLF) से हो, इस दिशा में हम काम कर रहे हैं. आने वाले समय में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे.
इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में उनके पास ओबैदुर्रहमान जैसे प्रोफेशनल व उद्यमशील लोगों की टीम भी है और डॉ. ए ए हई जैसे स्वप्नदर्शी रहनुमा भी।
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