बलात्कार मामलों में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि क्या एक बलात्कार की कीमत 6500 है? कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि यौन उत्पीड़न के पीडि़तों को इतनी कम राशि देकर क्या आप ‘खैरात’ बांट रहे हैं?
नौकरशाही डेस्क
जस्टिस मदन बी. लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार के हलफनामे का अवलोकन करते हुए कहा कि आप (मप्र) और आपके चार हलफनामों के अनुसार आप बलात्कार पीडि़त को औसतन छह हजार रूपए दे रहे हैं. आप की नजर में बलात्कार की कीमत 6500 रूपए है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हतप्रभ है कि मध्य प्रदेश, जो निर्भया कोष योजना के तहत केन्द्र से अधिकतम धन प्राप्त करने वाले राज्यों में है, प्रत्येक बलात्कार पीड़ित को सिर्फ 6000-6500 रुपये ही दे रहा है. मध्य प्रदेश में 1951 बलात्कार पीडित हैं और आप उनमें से प्रत्येक को 6000-6500 रूपए तक दे रहे हैं. क्या यह अच्छा है, सराहनीय है? यह सब क्या है? यह और कुछ नहीं सिर्फ संवदेनहीनता है.’ पीठ ने कहा कि निर्भया कोष के अंतर्गत सबसे अधिक धन मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने 1951 बलात्कार पीड़ितों पर सिर्फ एक करोड़ रूपए ही खर्च किए हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया था. उन्हें इसमें यह भी बताना था कि निर्भया कोष के अंतर्गत पीडि़तों के मुआवजे के लिए कितना धन मिला और कितनी पीडि़तों में कितनी राशि वितरित की गई. कम से कम 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी भी अपने हलफनामे दायर करने हैं.