छठे चरण का चुनाव- बिहार में NDA को सता रहा है किला दरकने का खौफ.
बिहार में छठे चरण के चुनाव के बाद NDA को अपने पारम्परिक किले के दरकने का खौफ सताने लगा है.
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बाल्मीकिनगर, पश्चिमी चम्पारण,पूर्वी चम्पारण, शिवहर,गोपालगंज,महाराजगंज, सीवान,वैशाली में हुए हैं चुनाव
12 मई को आठ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए. इनमें बाल्मीकिनगर, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण,शिवहर, गोपालगंज, महाराजगंज और वैशाली की सीटें शामिल हैं.
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इन तमाम सीटों पर 2014 में भाजपा गठबंधन का कब्जा था. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा अपने इस पारम्परिक किले को बचा पायेगी?
बाल्मीकिनगर, सीवान में जदयू को मजबूत टक्कर महागठबंधन ने दी है. वहीं शिवहर में भाजपा की रमा देवी के सामने राजद के फैसल अली मुकाबले में हैं. लेकिन फैसल की पहचान कमजोर होने के कारण रमा देवी के सामने मुश्किलें कम दिख रही हैं.
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जबकि सीवान एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र बन कर उभर सकता है जहां शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने जदयू की प्रत्याशी कविता सिंह समाने मजबूत टक्कर पेश कर चुकी हैं. हिना शहाब लगातार 2009 और 2014 में चुनाव लड़ी लेकिन हार गयीं. लेकिन इस बार उनकी जीत की संभावनायें बढ़ी हैं.
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इधर वैशाली में रघुंवंश प्रसाद सिंह 2014 में अपनी हार का बदला लेते हुए दिख रहे हैं. जबकि पूर्वी चम्पारण में राधामोहन सिंह, जो केंद्रीय मंत्री हैं उनकी राह भले ही आसान नहीं हो पर उनकी बड़ी पहचान होने के कारण उन्हें एज मेलता दिख रहा है.
गोपालगंज व महाराजगंज में NDA मजबूत टक्कर देने की स्थिति में लग रहा है. जबकि पश्चिमी चम्पारण में लगातार तीसरी जीत दर्ज करने की उम्मीद के साथ भाजपा के संजय जायसवाल ने रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा के सामने कठिन चुनौती पेश की है.
कुल मिला कर छठे चरण के चुनाव में दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर है. लेकिन 2014 वाली स्थिति प्राप्त करना भाजपा के लिए लगभग असंभव सा दिख रहा है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन जिस तरह की उम्मीद पाले बैठा था, वैसी स्थिति भी बनती नहीं दिख रही है.