तस्वीर बता रही ‘दलितों का पैर धोना’ व दुख में शामिल होने का फर्क
दिल्ली में दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म, हत्या और शव को जला देने की घटना हिला देनेवाली है। आज राहुल पड़ित परिजनों से मिले। क्या आपने ऐसी तस्वीर देखी है?
कुमार अनिल
चुनाव से पहले ‘दलितों का पैर धोना’ और किसी दलित बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद हत्या, जला देने की घटना के बाद दुखी परिवार से इस तरह मिलना-दोनों मेंं आसमान-जमीन का फर्क है। कहीं अत्याचार की घटना होने पर पीड़ित परिवार से मिलने नेता जाते ही रहते हैं। यह होना ही चाहिए। लेकिन आज राहुल गांधी जिस तरह दिल्ली के पीड़ित परिवार से मिले और परिवार जिस तरह राहुल से मिला, उसे बताती है यह तस्वीर।
क्या आपने किसी नेता को पीड़ितों से और पीड़ितों को किसी नेता से इस तरह मिलते ऐसी तस्वीर देखी है? बच्ची के पिता राहुल की गोद में सिर रखे हैं और मां ने राहुल का हाथ पकड़ रखा है। जैसे लगता है मां ने होशोहवास (सुध-बुध) खो दिया हो। कांग्रेस के सचिव हिमांसु व्यास ने यह तस्वीर ट्विटर पर डाली है। उन्होंने लिखा है- ऐसा अपनापन आप किसी नेता में नहीं पा सकते। हम बच्ची को वापस नहीं ला सकते, पर मुझे भरोसा है राहुल जी इस परिवार का ध्यान रखेंगे। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि आज देश को ऐसे ही नेता की जरूरत है।
उधर आज शाम छह बजे दिल्ली में कांग्रेस के आह्वान पर लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। बैनर पर लिखा था-देश की बेटी को न्याय दो। मार्च का नेतृत्व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. कर रहे थे।
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नेशनल मीडिया क्या कर रहा है? एक नामी चैनल चला रहा है कि दलित की बेटी राहुल के लिए टूल बनी। पत्रकार प्रशांत टंडन ने ट्वीट किया-जी न्यूज दलित की बेटी को टूल बताकर अपराध कर रहा है। समीर ने ट्वीट किया-दिन रात ज्ञान देते हो, हिंदू/ हिंदू राष्ट्र करते हो, मुस्लिम, सिख, ईसाई को गाली बकते हो, मगर 9 साल की बच्ची से बलात्कार, हत्या के बाद तुम्हारे मुँह से एक शब्द नहीं फूटा! क्यों? दलित थी इसलिए? बलात्कारी की जाति तुमको कुछ कहने से रोकती है? लड़की की जान की कीमत नहीं? तुम नीच हो !
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