ठाकरे, ममता के बाद तेजस्वी ने उठाया राज्यों से भेदभाव का सवाल
शिवसेना ने उदाहरण देकर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महामारी में महाराष्ट्र के साथ भेदभाव कर रही है। फिर ममता ने आरोप लगाया। अब तेजस्वी भी केंद्र पर बरसे।
कुमार अनिल
महाराष्ट्र में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने से एक अस्पताल में 24 लोगों की मौत के बाद शिवसेना प्रवक्ता अरविंद सावंत ने केंद्र सरकार की नीति को क्रूर बताया और कहा कि जिस ट्रेन से 19 अप्रैल को कलमबोली से ऑक्सीजन आ रही थी, वह 24 घंटे में अकोला पहुंची। रेलवे ने ऑक्सीजन ट्रेन के लिए ग्रीन कॉरिडोर नहीं दिया।
ममता बनर्जी ने भी राज्यों के साथ भेदभाव का मामला उठाया है। उन्होंने एक ही वैक्सीन की कीमत राज्यों से अधिक लेने पर आपत्ति जताई है।
आमतौर से राज्य सरकार केंद्र से अपने लिए अधिक सुविधा की मांग करती है। जो काम राज्य सरकार को करना चाहिए, वह बिहार में विपक्ष कर रहा है। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी केंद्र पर बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगया। उन्होंने कहा- केन्द्र सरकार डीआरडीओ के जरिए कम आबादी और कम कोरोना मामलों के बावजूद हरियाणा में 500 बेड वाले दो कोविड समर्पित अस्पताल चालू करवा रही है। क्या बिहारियों की जान इतनी सस्ती है जो एनडीए को 48 सांसद देने के बावजूद इस महामारी में केंद्र सरकार का यह आपराधिक सौतेलापन सहे? बोलिए @NitishKumar जी।
तेजस्वी ने कड़े शब्दों में कहा- बिहार एनडीए के 48 सांसद और 5 केंद्रीय मंत्री मिलकर भी बिहार के लिए डीआरडीओ से एक 500 बेड का कोविड समर्पित अस्पताल सुनिश्चित नहीं करवा सकते? धिक्कार है ऐसे डरपोक नाकारा सांसदो पर!
ट्रेंड कर रहा कोविड-19 की जगह मोविड-21 #Movid21
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री को भी घेरते हुए कहा- कोरोना संकट में भी बिहार की केंद्र द्वारा की जा रही अनदेखी पर सीएम नीतीश कुमार क्यों मुंह में दही जमाए हैं? उन्होंने भाजपा पर भी हमला करते हुए कहा कि भाजपा के दो-दो उपमुख्यमंत्री कहां हैं?
कल जब सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड टीके के एक डोज की कीमत केंद्र से 150 रुपए तथा राज्यों से 400 रुपए लेने की घोषणा की, तब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई आपत्ति नहीं की। जबकि इससे बिहार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा और विकास योजनाएं प्रभावित होंगी।
यहां यह याद रखना जरूरी है कि केंद्र के पास मोदी केयर्स जैसा फंड है, जिसमें देशभर के लोगों, कंपनियों ने चंदा दिया है। इसमें चंदा देने पर कंपनियों को छूट भी दी गई, जिससे अधिकतर कंपनियों ने राज्य के आपदा कोष में चंदा देने के बजाय मोदी केयर्स में देना ज्यादा मुनासिब समझा।