उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि उन्होंने सक्रिय राजनीति से अवकाश ग्रहण किया है, सार्वजनिक जीवन से नहीं। पटना विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद धारण करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये हैं।
सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद भी मैं लोगों को सलाह देना चाहता हूं कि वह बुद्धि और विवेक से अपने प्रतिनिधि का चुनाव करें। उप राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को मतदान करने से पूर्व चार पैमाने चरित्र, योग्यता, आचरण और क्षमता के आधार पर सही उम्मीदवार का आकलन करना चाहिए। उन्होंने बिहारवासियों को यह आश्वासन भी दिया कि वे पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग को पूरा कराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि वे अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए इस संबंध में हर संभव कोशिश करेंगे ताकि यह विश्वविद्यालय पहले से बेहतर संस्थान के रूप में विकसित हो सके। उप राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही बिहार दुनिया में अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है। नालंदा विश्वविद्यालय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, न्यायशास्त्र, शिक्षा एवं सामाजिक आंदोलन समेत कई क्षेत्रों में राष्ट्र को उल्लेखनीय योगदान दिया है। श्री नायडू ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय अपने स्थापना के समय से ही न केवल बिहार बल्कि देश और दुनिया के शिक्षाविदों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक के मध्य में इसी विश्वविद्यालय से छात्र आंदोलन की शुरुआत की थी। पुस्तकालय की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किताबें ज्ञान का भंडार होती हैं, इसलिए विद्यार्थियों को पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और इसे आजीवन बरकरार रखनी चाहिए। एक अन्य कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने बिहार के पहले अत्याधुनिक सवेरा कैंसर एवं मल्टीस्पेशलटी हॉस्पीटल का उद्घाटन किया। इस मौके पर राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रासबिहारी सिंह समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।