राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के कार्यपालक अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. वी. एस. चौहान ने उच्च शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्र निर्माण की सेवा में उच्च शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रो. चौहान ने दरभंगा में नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि समाज और राष्ट्र निर्माण की सेवा में उच्च शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सीधे आर्थिक स्थिति और किसी भी देश की भलाई के साथ संबंधित है। हालांकि, दुनिया भर में उच्च शिक्षा प्रणालियों ने पिछले चार दशकों के दौरान कई बदलावों और दबावों को देखा है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में शामिल होना भी छात्र के जीवन में एक महत्वपूर्ण दिन होता है जो उसके जीवन की यात्रा में मील का पत्थर साबित होता है।
नैक के कार्यपालक अध्यक्ष ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के आगमन एवं निरंतर नवाचारों ने ज्ञान को बनाने और साझा करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। वास्तव में सभी हितधारकों के लिए उच्च शिक्षा की भूमिका क्या होनी चाहिए, इस पर पूरी दुनिया में बहुत चिंता और बहस हो रही है। भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली अब दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी है, शायद सबसे जटिल भी। इसका तेजी से विस्तार करने की आवश्यकता है क्योंकि ब्रिटिश शासकों ने भारत में किसी भी विश्वसनीय शिक्षा प्रणाली को स्थापित करने के लिए बहुत कम ध्यान दिया था।
नैक के कार्यपालक अध्यक्ष ने कहा कि देश के स्वतंत्रता के समय केवल 20 विश्वविद्यालय और लगभग 200 कॉलेज थे जबकि अब लगभग 960 विश्वविद्यालय और 40000 से अधिक कॉलेज हैं जिनमें 3.5 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में छात्रों ने उच्च शिक्षा प्रणाली में दाखिला लिया है।