सुप्रीम कोर्ट ने CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) पर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। फिलहाल कोर्ट ने CAA पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 और नागरिक संशोधन नियम, 2024 पर रोक लगाने की मांग करने वाली वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसके तहत 8 अप्रैल तक केंद्र सरकार को जवाब देना है। इसके बाद 9 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।

CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 237 याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्र सरकार के सालिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से समय मांगा कि इतनी याचिकाएं हैं, सबका अध्ययन करना होगा। उन्होंने कोर्ट से जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने इतना वक्त देने से इनकार कर दिया।

याद रहे 11 मार्च को केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट यानी CAA के नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। उसके बाद से यह क़ानून देश में लागू हो गया है। इस क़ानून के प्रावधानों के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसे रोकने तथा इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका दायर करने वालों में कई सामाजिक संगठन, मानवाधिकार संगठन, सीपीएम के युवा संगठन सहित कई मुस्लिम संगठन भी शामिल हैं।

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याचिकाकर्ताओं का मुख्य रूप से कहना यह है कि सीएए हमारे संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है। संविधान किसी भी धर्म के साथ भेदभाव की इजाजत नहीं देता, जबकि CAA इसके पूरी तरह खिलाफ है। यह संविधान विरोधी है। इसके तहत सिर्फ मुस्लिमों को छोड़कर शेष अन्य धर्म के लोगों को ही अधिकार दिया गया है। कई संगठनों ने देश की सुरक्षा का सवाल भी उठाया है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि अपने देश के लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है और दूसरे देश के लोगों को रोजगार, घर क्यों देना चाहती है सरकार।

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