SBI को लाइन पर लाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक और झटका दिया है। केंद्र सरकार की उस अधिसूचना पर रोक लगा दी है, जिसमें PIB (पत्र सूचना कार्यालय) को यह अधिकार दिया था कि वह सही और फर्जी खबरों की पहचान करेगा। उसकी पहचान पर सोशल मीडिया कंपनियों को उक्त खबर या वीडियो को डिलिट करना होगा। सुप्रमी कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक अहम फैसले में केंद्र की इस अधिसूचना पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि यह अधिनियम संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन करता है।

इससे पहले SBI ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी उसने चुनाव आयोग को दे दी है। जिस जानकारी देने में SBI ने तीन महीने का वक्त मांगा था, उन सभी जानकारी को तीन दिनों में दे दिया। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे साबित होता है कि SBI ने पहले कोर्ट में झूठ बोला था।

अब ताजा फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने PIB को खबरों की पड़ताल करने तथा फर्जी खबरों की पहचान करने का अधिकार देनेवाली याचिका को रद्द कर दिया है। याद रहे केंद्र सरकार ने नए IT नियमों के तहत PIB के अंतर्गत एक फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) का गठन किया था। इस संबंध में केंद्र सरकार ने 20 मार्च को अधिसूचना जारी की थी।

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इधर चुनाव आयोग ने मोदी सरकार को व्हाट्सएप पर ‘विकसित भारत’ संदेशों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए रोक लगाने का आदेश दिया गया है। आयोग ने सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी तरह के प्रचार को भी तुरत हटाने का आदेश दिया है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में बच्चों का उपयोग करने की शिकायत के खिलाफ अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक परेशान हैं। वे पूछ रहे हैं कि फैक्ट चेक अभिव्यक्ति की आजादी का हनन कैसे हो सकता है। सवाल उसका नहीं है, सवाल है फैक्ट चेक करने का अधिकार पीआईबी को क्यों। सरकार कोई स्वतंत्र एजेंसी बना सकती थी, जिसमें हर पक्ष के प्रतिनिधि होते।

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