कल नफरती नारों की छूट, आज शांति का नारा लगाने पर घसीटा

दिल्ली के जंतर-मंतर पर कल नफरती नारों को रोकनेवाला कोई न था, आज जवाब में शांति-भाइचारे के लिए जमा होने पर पुलिस ने रोका। लेखक-पत्रकारों को घसीटा।

देश अजब दौर से गुजर रहा है। कल दिल्ली के जंतर-मंतर पर खुलेआम एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ हिंसक नारे लगे। उन्हें पुलिस ने नहीं रोका। आज जवाब में देश के सम्मानित लेखकों-पत्रकारों को न सिर्फ जमा होने से रोका गया, बल्कि बड़े-बड़े लेखकों को पुलिस ने घसीटा, किसी का हाथ मरोड़ा।

दिल्ली पुलिस ने आज फिर हद कर दी। कहां तो उसे अमन-भाईचारे के लिए जमा हुए लोगों की मदद करनी चाहिए, वहीं पुलिस ने देश के नामी लेखकों-पत्रकारों और महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं तक से दुर्व्यवहार किया।

गांधी को किसने मारा जैसी चर्चित पुस्तक के लेखक और इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय भी कल के नफरती नारों का विरोध करने आज जंतर-मंतर पहुंचे। जब वह एक पत्रकार को बाइट दे रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें घसीटकर अलग कर दिया। उन्हें शांति-भाईचारे की बात करने से रोका। अशोक कुमार पांडेय ने ट्वीट किया-इस तरह घसीट के गिरफ़्तारियां की गईं। मैं एक चैनल को बाइट दे रहा था। मेरे साथ भी बदतमीज़ी की कोशिश की है। @Sujata1978 का हाथ मरोड़ा गया। सॉरी बॉस आप डर गए हैं शांति के आह्वान से लेकिन हम तो कहेंगे। लेखक पांडेय ने वीडियो भी ट्वीट किया है।

लेखक चंदन पांडेय ने कहा- दिल्ली के दंगाईयों को नारे लगाने की खुली छूट मिली लेकिन जब दिल्ली के अमनपसंद आगे आए तब सरकार बहादुर को बुरा लग गया। पत्रकार श्याम मीरा सिंह जंतर-मंतर पहुंचनेवाले पहले व्यक्तियों में थे। उन्हें भी पुलिस ने रोका। उन्होंने ट्वीट किया-पुलिस हमें रोक रही है। धारा 144 लगा दी गई है। आप सब आइए।

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पत्रकार प्रशांत टंडन ने लिखा-जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट नहीं ही सकता लेकिन कत्लेआम का ऐलान हो सकता है. वाह री दिल्ली पुलिस। राजधानी दिल्ली में भीड़ जुटा कर हेट स्पीच देने की खुली छूट है मगर हेट speech के विरोध में प्रदर्शन करने वालों को जबरदस्त पुलिस बंदोबस्त के साथ डिटेन कर लिया जाता है। बताया जाता है की शहर में धारा १४४ लगी है। हद्द है।

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