कल बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने लालू यादव और उनकी बेटी रोहिणी पर ओछी टिप्पणी की और आज सोशल मीडिया में Rabri Devi (राबड़ी देवी) नाम से हैशटैग ट्रेंड कराया जा रहा है। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने आज अपने पति का जेल से भेजा जनता के नाम संदेश को पढ़ते हुए सोशल मीडिया में शेयर किया। इसके बाद एक खास दल के समर्थकों ने सुनीता अग्रवाल को दिल्ली की राबड़ी देवी कह कर अपमानित करना शुरू किया। इस तरह वे एक साथ दो महिलाओं का मजाक उड़ा रहे हैं।

मुख्य मीडिया में भी अरविंद केजरीवाल ने जनता के नाम क्या संदेश दिया, इसे गायब कर दिया गया है और सारी चर्चा इसी बात पर हो रही है कि अरविंद केजरीवाल ने अपना संदेश जारी करने के लिए पार्टी के किसी नेता को क्यों नहीं चुना, पत्नी को ही क्यों चुना। इसके बाद सुनीता केजरीवाल को दूसरी राबड़ी देवी कह कर अपमानित किया जाने लगा।

जो लोग सुनीता केजरीवाल को दूसरी राबड़ी देवी कह कर राबड़ी देवी के साथ ही सुनीता केजरीवाल का भी अपमान कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या हमारा संविधान कम पढ़े-लिखे व्यक्ति को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता है, क्या हमारा संविधान डिग्री के आधार पर व्यक्ति में भेद करता है। जवाब है नहीं और नहीं। अंग्रेज के जमाने में वोट देने का अधिकार डिग्री और धन था। जब देश आजाद हुआ तो हमारे संविधान निर्माताओं ने इस शर्त को पूरी तरह खारिज कर दिया और देश के हर नागरिक को वोट का अधिकार दिया। उसी तरह प्रतिनिधि होने के लिए भी किसी डिग्री की कोई शर्त नहीं थोपी।

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इसी के साथ .ह भी देखना चाहिए कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले महिलाओं के हक के खिलाफ रहे हैं। मणिपुर में महिलाओं के अत्याचार पर, महिला पहलवानों के यौन शोषण पर ऐसे लोगों का मुंह नहीं खुलता है, लेकिन सुनीता अग्रवाल के खिलाफ माहौल बनाने में पूरा मीडिया लग गया है।

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