‘टमाटर पर धारा 144’, भक्त खुश, विरोधी नाराज

ट्विटर पर आज सरसों तेल से ज्यादा टमाटर का दिन है। देश में कहीं यह 80 रुपए किलो है, तो कहीं सौ रुपए। महंगे टमाटर से भक्त खुश है, विरोधी नाराज।

छोटे लोगों का दिन भी आता है। लोग टमाटर की चटनी को महत्व नहीं देते थे, सो अब टमाटर भी सरसों तेल की राह पर है। सरकार विरोधी लोग नाराज हैं, वहीं भक्तों के अपने तर्क हैं। वे महंगे टमाटर से खुश हैं। उनके तर्क से पहले सरकार विरोधी लोगों की बात सुन लेते हैं।

पत्रकार आदेश रावल ने ट्वीट किया-टमाटर, प्याज़ का हाल ऐसा हो गया है जैसे धारा – 144 लगी हो। चार से ज़्यादा नहीं रख सकते।

लेखक अशोक कुमार पांडेय ने लिखा-जिस मौसम से सब्जी से लेकर पुलाव तक में मटर डालने का मन करता हो उस मौसम में 120 रुपये किलो मटर और 100 रुपये किलो टमाटर है! मतलब हद है!

डंकापति टमाटर को किस प्रकार इतिहास से जोड़ रहे हैं, देखिए। बोले-अफगानिस्तान के लोग भी बहुत सस्ती सब्जी चाहते थे । क्या हुआ ? तालिबान आ गया न ! देश रहेगा तभी तो सब्जी खाओगे, देश ही नहीं रहेगा तो कहाँ से खाओगे। आप जैसे नकली हिन्दुओं के कारण ही हमें मुगलों की गुलामी झेलनी पड़ी और मुगलों ने 2-2 किलो टमाटर बांट कर लोगों धर्म परिवर्तन करा दिया।

डॉ. जगत टमाटर की परेशानी को कम करने का नायाब तरीका सुझाते हैं। कहा-मेज पर सब्जियों की फोटो चिपकाइए कांच की तश्तरी लिजिए और उसमें चावल भर कर फोटो पर रख कर खाईए नीचे से सब्जियां दिखती रहेगी तो feelgood होगा।

पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने कहा-10 रुपए में आने वाला टमाटर 90 रुपए किलो ख़रीदकर लाया हूँ. बाक़ी 80 रुपए एक गधे को शेर बनाने के मेकअप, होर्डिंग, एडवरटाइज़मेंट पर चले गए। पत्रकार रणविजय सिंह ने कहा-सब्जियां खरीदने से पहले FD तुड़वाना न भूलें। टमाटर के लिए लोन भी ले सकते हैं।.. जनहित में जारी। एनडीटीवी के अखिलेश शर्मा ने लिखा-छह महीने पहले रोते हुए किसान टमाटर की फसल के वाजिब दाम न मिलने पर उसे ट्रैक्टर से रौंद रहे थे। आज टमाटर सौ रु किलो में लोगों को रुला रहा है। प्याज-टमाटर की हर बार यही कहानी। फसलों का ऐसा कुप्रबंधन शायद ही किसी दूसरे देश में होगा।

भक्तों में कई इस बात से खुश हैं कि टमाटर विदेशी है। आलू भी विदेशी है, वह भी महंगा हो जाए, तब भी कोई बात नहीं। कई भक्त पुराने तरीके अपना रहे हैं कि सवाल कुछ हो, जवाब कुछ दो। एक भक्त गलती से लेखक अशोक कुमार पांडेय से भिड़ गया, तो लेखक ने करारा जवाब दिया। फिर तो भक्त भाग खड़ा हुआ। भक्तों को एक सलाह है, लेखकों से मत भिड़ना। जवाब जानने के लिए अशोक पांडेय के टाइम लाइन पर जाइए।

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