बीते दिनों मुजफ्फरपुर बालिका गृह और पटना के आसरा गृह कांड के बाद अब राज्य सरकार शेल्टर होम खुद से चलाने का मूड बना चुकी है. यही वजह है कि सोमवार को राज्य बाल संरक्षण समिति की बैठक में सरकार फिलहाल 152 पदों का सृजन का निर्णय लिया गया है. बैठक के बाद अब इस प्रस्ताव को वित्त विभाग में भेजा जायेगा. मिली जानकारी के अनुसार, इनमें से कई पदों पर बहाली एजेंसी के माध्यम से संविदा के आधार पर की जायेगी.
नौकरशाही डेस्क
इस बैठक में समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद, निदेशक राज कुमार सहित शिक्षा विभाग, एससी-एसटी कल्याण विभाग, महिला विकास समिति, आईसीडीएस और शेव द चिल्ड्रेन के अधिकारी शामिल थे. सरकार ने धीरे-धीरे सभी शेल्टर होम का संचालन स्वयं अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया है. इसके लिए बड़ी समस्या में कर्मचारियों की कमी है जिसे दूर करने की तैयारी की जा रही है. इस पर 11.64 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है.
इन पदों के सृजन का सबसे बड़ा फायदा किशोर न्याय परिषद में लंबित मुकदमों के निबटारे में हो सकेगा. सूत्रों का कहना है कि इस समय किशोर न्याय परिषद में लंबित मुकदमों की संख्या 5000 से अधिक है. वहां सहायकों और मल्टी टास्किंग स्टाफ की बहाली से इन मुकदमों को त्वरित गति से निबटाया जा सकेगा. नये सृजित पदों में काउंसेलर, विधि परामर्शी, सहायक, मल्टी टास्किंग स्टाफ और चपरासी के पद शामिल हैं.