आंध्र प्रदेश में लगातार बंद, बिजली के लिए मचे हाहाकार और कारोबार ठप किये जाने से उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावना पर केंद्र सरकार विचार कर सकता है.
समझा जाता है कि गृहमंत्री सुशील कुमा शिंदे ने इस विषय पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात भी की है. हालांकि कांग्रेस शासित इस राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य बनाने के प्रयास भी चल रहे हैं.
वाई एसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी द्वार अनिश्चितकालीन अनशन और बंद के कारण जनजीवन ठप सा पड़ गया है. वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध करन के लिए इस अंशन का आयोजन किया है. इसके बाद बिजली सप्लाई भी बड़े पैमाने पर बाधित हुई है.
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरण दास का कहना है कि राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्थिति नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आती है तो पार्टी इस पहलू पर भी सोच सकती है.
इस बीच टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार गृहमंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आंध्र में बिजली यूनियन द्वारा बिजली जेनरशन ठप किये जाने का असर दूसरे विभागों पर भी पड़ सकता है. गृहमंत्रालय को शक है कि ऐसी स्थिति में हिंसक प्रदर्शन भी हो सकते हैं.
यह प्रदर्शन और बंद रायलसीमा और सीमांध्र इलाका में बढ़ता जा रहा है. इस बीच सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी जो खुद रायलसीमा से आते हैं, अगर कानून व्यवस्था पर उनकी पकड़ ढ़ीली होती है तो निश्चित तौर पर केंद्र अनुच्छेद 356 का प्रयोग करते हुए राज्य में राष्ट्रपति लागू करने पर विचार कर सकता है.