उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि सरकार ने 270 करोड़ रुपये की लागत से ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम’ की शुरुआत की है, जिसके तहत अब तक छह लाख 12 हजार प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
श्री मोदी ने तीसरे नेशनल फारेंसिक कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अपराध के अनुसंधान का तरीका बदल चुका है। बिहार सरकार ने 270 करोड़ रुपये की लागत से क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम की शुरुआत की है, जिसके तहत अब तक छह लाख 12 हजार प्राथमिकी दर्ज की गयी है। उन्होंने बताया कि हर थाने में कम्प्यूटर लगाये जा रहे हैं। अब कम्प्यूटर की एक क्लिक से किसी अपराधी के चेहरे, उसके क्राइम रिकार्ड, पूरे देश में उस पर कहां-कहां प्राथमिकी दर्ज हैं, को जाना जा सकता है। थानों के अलावा न्यायालय और जेल को भी कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। जेल में बंद अपराधियों को कोर्ट में लाये बिना भी उसका ट्रायल किया जा सकता है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध अनुसंधान के पुराने तरीके बदल गए हैं। पहले घटनास्थल पर अपराधियों के छूटे कपड़े, उंगली के निशान और कुत्तों की मदद से पुलिस अपराधियों की पहचान की कोशिश करती थी लेकिन अब बाल की फाॅरेंसिक जांच, नारको टेस्ट, कारतूस की जांच, किस आर्डिनेंस फैक्ट्री में वह बना, उसका बैच नम्बर क्या है, उक्त बैच की कारतूस किसने खरीदी के जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुंच रही है।