मिलिए सिविल सेवा के पहले दृष्टिहीन आईएएस कृष्ण गोपाल तिवारी से गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार ने उमरिया जिले का डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद की जिम्मेदारी सौंपी.
तिवारी दृष्टिहीन है और प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी दृष्टिहीन को जिले की कमान सौंपी गई है. भोपाल में प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान तिवारी के लिए विशेष प्रकार के कम्प्यूटर और ब्रेल लिपि की किताबें उपलब्ध कराई गईं थीं.
2008 बैच के अधिकारी तिवारी इससे पहले होशंगाबाद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और पदेन अपरप होशंगाबाद के रूप में तैनात थे।
कृष्ण गोपाल तिवारी ने 2008 में सिविल सर्विस की परीक्षा 142 वां रैंक हासिल किया था. महज 20 साल की उम्र में उनकी आंखों की 75 प्रतिशत रौशनी अचानक चली गयी. वह रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के शिकार हो गये थे. लेकिन उन्होंने जीवन में हार न मानने की ठानी. बिना कोचिंग लिये तिवारी ने आईएएस बनने का सपना पूरा किया था.
इसके बाद गोपाल ने मध्य प्रदेश कैडर में बतौर आईएएस ऑफिसर जॉइन किया था. गोपाल को केवल नहीं देख पाने की ही समस्या नहीं थी बल्कि आर्थिक तंगी से भी वह बुरी तरह परेशान रहे हैं. लेकिन गोपाल के हौसले के सामने ये समस्याएं छोटी पड़ीं. शारीरिक रूप से विकलांग कैटिगरी में गोपाल टॉप आए थे.गोपाल को परीक्षा में दूसरों से लिखवाने में मदद लेनी पड़ी थी.
तिवारी ने जब 20 की उम्र में आंखों की रौशनी खो दी तो शुरुआती दिनो में वह मैग्निफाइंग ग्लास के सहारे अध्ययन करते रहे लेकिन यह कोई स्थाई व्यवस्था नहीं थी. इसके बाद उन्होंने हौसला से काम लिया और ब्रेल लिपी भी सीखी और फिर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे. ऐसा नहीं था कि उन्हें पहली कोशिश में ही सफलता मिल गयी. उन्होंने लगातार दो प्रयास तक असफलता गो ही गले लगाया और तीसरी कोशिश में कामयाब हो सके.
निश्चित तौर पर तिवारी देश के उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो असफलता से सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं.
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