प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पसंददीदा कामों में- उद्घाटन करना, शिलान्यास करना, हरी झंडी दिखाना है. अगर इसकी भी संभावना नहीं तो पुराने प्रोजेक्ट का नया नाम दे कर उसे फिर से नये तरीके से परोस देना.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पसंददीदा कामों में- उद्घाटन करना, शिलान्यास करना, हरी झंडी दिखाना है. अगर इसकी भी संभावना नहीं तो पुराने प्रोजेक्ट का नया नाम दे कर उसे फिर से नये तरीके से परोस देना.
अपनी इसी हसरत के तहत जब मोदी के रायबरेली भ्रमण की बात आई तो शायद उनके सलाहकारों ने उन्हें खुश करने के लिेए यह मश्विरा दिया होगा कि वहां की रेल कोच फैक्टरी है. उस पर कुछ किया जा सकता है.[tabs type=”horizontal”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab][/tab][/tabs]
इसी सोच के तहत शायद सलाहकारों ने कहा होगी कि बरेली रेल कोच फैक्टरी के 900 वें Rail Coach को हरी झंडी दिखा दिया जाये. रविवार को नरेंद्र मोदी ने यही किया. उन्होंने 900 वें Rail Coach को हरी झंडी दिखा दी.
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पढ़ें सोनिया दिखाई थी पहले कोच को हरी झंडी
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बस क्या था लालू प्रासद ने मोदी के इस कारनामे पर साक्षों की एक फहरिस्त ही फेसबुक पर डाल दी. और बताया कि इस कोच फैक्ट्री को मैने बनाया था. अब तक इस फैक्टरी से 800 से ज्यादा यानी 899 कोच का निर्माण हो चुका है. ऐसे में 900वें कोच को हरी झंडी दिखाने का क्या मतलब हुआ?
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लालू ने संसद में की थी कोच फैक्टरी निर्माण की घोषणा
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लालू प्रसाद ने फेस बुक पर लिखा कि “इस देश का प्रधानमंत्री ग़ज़ब है। पूर्ववर्ती सरकारों की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते। लेकिन आज तो सारी सीमा तोड़ते हुए रेल कोच फैक्ट्री रायबरेली के 900वें डिब्बें को ही हरीझंडी दिखा दी। बाक़ी पहले के 899 किसने बनाए थे साहब? उनका भी कर देते”?
मजे की बात है कि इस कोच फैक्टरी से निर्मित प्रथम कोच को 7 नवम्बर 2012 को सोनियागांधी ने हरी झंडी दिखाई थी.
इस कोच फैक्टरी के निर्माण का फैसला तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने 2006 में घोषणा की थी. तब उन्होंने कहा था कि यह कोच फैक्टरी आधुनिकतम तकनीक से परिपूर्ण होगी और इस की लागत एक हजार करोड़ होगी. हालांकि 2009 में इस फैक्टरी का शिलान्यास हुआ तब इसकी लागत बढ़ कर 1600 करोड़ हो गयी.