बिहार को विशेष दर्जा : राजद का संसद में स्थगन प्रस्ताव
नीति आयोग ने बिहार को विकास के मामले में फिसड्डी राज्य बताया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने विशेष दर्जा की मांग कर दी। अब राजद का संसद में स्थगन प्रस्ताव।
पिछले महीने नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मानव विकास के विभिन्न सूचकांकों में बिहार को देश का सबसे पिछड़ा राज्य घोषित कर दिया। शुरू में जदयू के कई बड़े नेताओं ने नीति आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया, लेकिन जब खुद मुख्यमंत्री से यह सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि बिहार पिछड़ा है, गरीब है, तो इसे विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। इसके बाद जदयू के सारे नेताओं ने विशेष राज्य की मांग मीडिया के जरिये करनी शुरू की।
नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद पहली बार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा का सवाल राजद ने संसद में उठाने की तैयारी कर ली है। राज्य सभा में राजद सदस्य प्रो. मनोज झा ने कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया है।
राजद सांसद मनोज झा ने राज्यसभा के चेयरमैन को लिखा है कि जैसा कि आपको मालूम होगा बिहार नीति आयोग के डेवलपमेंट इंडिकेटर्स के अनुसार हर मामले में सबसे नीचे है। यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। यह राष्ट्रीय चिंता का विषय है। इस पृष्ठभूमि में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सभी कार्य रोक कर सदन में इस पर विस्तृत चर्चा कराई जाय।
मालूम हो कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के सवाल पर राज्य के सभी दल सहमत रहे हैं। हालांकि जब मोदी सरकार ने इस मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया, तबसे भाजपा के सुर बदल गए। इस तरह आज की स्थिति में भाजपा को छोड़कर शेष सभी दल विशेष राज्य के दर्जा के सवाल पर एकमत हैं। इस तरह एक बार फिर से राज्य में भाजपा अलग-थलग पड़ गई है। इससे पहले जातीय जनगणना के सवाल पर भी राजद और जदयू साथ आ चुके हैं और इस मामले में भी भाजपा अकेली पड़ गई है। अब देखना है इस सवाल पर राजद और जदयू मिलकर केंद्र पर कितना दबाव बना पाते हैं।
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