शराब के खिलाफ सर्वधर्म गुरु आये साथ, नीतीश सरकार उत्साहित
ऐसे समय में जब नीतीश सरकार शराब माफियाओं, पियक्कड़ों और शराब कारोबारियों से दो-दो हाथ कर रही है, सभी धर्म गुरुओं ने एक साथ इसके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है.
पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में रविवार को इस्लाम, हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मों के गुरुओं ने मिल कर धार्मिक जन मोर्चा ( Dharmik Jan morcha) का गठन किया. इस मोर्चा की पहली बैठक में ‘शराब एक सामाजिक अभिषाप’ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सभी धर्मों के नुमाइंदों ने एक सुर में शराब के खिलाफ अभियान छेड़ने का वचन लिया गया.
तय हुआ कि हर धर्म के नुमाइंदे अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में शराब के खिलाफ जागरूकता अभियान चलायेंगे. धर्म गुरुओं ने एक स्वर में कहा कि अकेले सरकार इस काम को नहीं कर सकती. जब तक इस अभियान में समाज के हर धार्मिक समुह का साथ नहीं मिलेगा तब तक यह अभियान कामयाब नहीं हो सकता.
इस मोर्चे के गठन की पहल जमात इस्लामी हिंद ने की. इस मौके पर जमात इस्लामी हिंद के सेक्रेटरी जनरल मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने साफ शब्दों में कहा कि हमारा उद्देश्य शराबनोशी के खिलाफ अवाम में जगरुकता लाना और इसके नुकसान के प्रति आगाह करना है. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में बिहार, गुजरात और नागलैंड में शराबबंदी का कानून नाफिज है. हम चाहेंगे कि सरकार पूरे देश में इस कानून को लागू करे. उन्होंने कहा कि सरकार कानून बना सकती है लेकिन इस कानून पर अमल तो अवाम को करना है. ऐसे में अवाम से जुड़े सभी धर्मों के संगठनों को पहल करनी होगी. इसके लिए हमने धार्मिक जन मोर्चा का गठन राष्ट्रीय स्तर पर पहले ही किया है. यह संगठने देश के सात राज्यों में सक्रिय है और अब बिहार में भी हमने इस मोर्चा की शुरुआत की है.
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इंसजीनियर मोहम्मद सलीन ने कहा कि हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म के नुमाइंदों को एक साथ इकट्ठा करने का हमारा उद्देश्य यही है कि हम सब मिल कर शराब जैसे अभिषाप के खिलाफ अभियान चलायें. उन्होंने कहा कि हर धर्म में शराब की मनाही है.
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इस अवसर पर बौद्ध धर्म गुरु विश्वजीत भंते ने कहा कि शराब से लाखों जिंदगियां तबाह हो रही हैं. हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी लागू करने की सराहना करते हैं. लेकिन हमारा मानना है कि सरकार के साथ साथ समाज के नुमाइंदों को भी इस अभियान में जुटना होगा.
सिख धर्म के सेवादार सरदार तिरलोकी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि बिहार सरकार ने किसी भी थाना क्षेत्र में शराब पीने वालों को रोकने के लिए पुलिस पदाधिकारियों पर जोर दिया है. अगर किसी थाना क्षेत्र में शराब मिलती है तो इसके लिए थाना प्रभारियों को जिम्मेदार माना जायेगा. लेकिन मेरा मानना है कि हर पंचायत के मुखिया, सरपंच, शहरों के वार्ड पार्षदों और जन प्रतिनिधियों को भी अपनी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी ताकि शराब पर पूरी तरह से पाबंदी लगायी जा सके. उन्होंने कहा कि भले ही बिहार में शराब अब भी कहीं कहीं पीते हुए लोग पकड़े जाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि 2016 के बाद ( शराबबंदी लागू होने के समय) से अब शराब पी कर उत्पात मचाने वाले इक्के-दुक्के ही दिखते हैं. इससे शराब में शांति का वातावरण बढ़ा है.
ईसाई धर्म गुरु फादर जोश ने कहा कि बाइबल समेत तमाम धर्मग्रंथों में शराब की बुराई की गयी है. लेकिन कुछ समुहों में यह धारणा अब भी बनी हुई है कि उनके देवता शराब के चढ़ावे से ही खुश होते हैं. हमें इस परसेप्शन को बदने की दिशा में काम करना होगा.
वहीं इस गोष्ठी में ज्ञान रत्न भंते ने कहा कि हम इस अभियान को हर स्तर पर मदद करने के लिए तैयार हैं.
गोष्ठी की शुरुआत में जमात इस्लामी हिंदी, बिहार के अमीर हल्का मोलाना रिजवान इस्लाही ने धार्मिक जन मोर्चा के गठन के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे समाज में अलग-अलग मजहबों के लोग रहते हैं. सब की अपनी मान्यतायें हैं. लेकिन तमाम बुनियादी मान्यतायें सबकी समान हैं. ऐसे में हम शराबनोशी, अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा, दंगा जैसे मुद्दे पर एकजुट हो कर काम कर सकते हैं. इसलिए हमने इस मोर्चा का गठन किया है.