हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा से. के जीतनराम मांझी विरोधी गुट का महासम्मेलन 18 मार्छ पटना के अवर अभियंता संघ भवन वीरचंद पटेल पथ में होने जा रहा है। पूर्व स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह की अगुवाई में हम की अधिकतर जिला ईकाई, दलित और अन्य सभी प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
नरेंद्र सिंह ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के एनडीए छोड़ राजद के साथ गठबंधन करने के फैसले से ज्यादातर कार्यकर्ता और प्रमुख पदाधिकारी नाराज है। उनकी नाराजगी यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने मनमाने तरीके-से यह फैसला क्यों किया? पार्टी कोर कमिटी, प्रदेश कार्यसमिति, प्रदेश एवं जिला के पदाधिकारियों की बैठक बुलाए बगैर अपने मन से इतना बड़ा निर्णय क्यों लिया? पार्टी के प्रदेश महासचिव धनंजय सिंह आरोप लगाते हैं कि जीतनराम मांझी पुत्रमोह में अंधे हो गए हैं।
उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित बेटे को राजनीतिक सौदेबाजी कर विधान पार्षद बनाने को बेचैन हैं। इसी बेचैनी में लालू पुत्र तेजस्वी यादव के चरणों में तमाम नीति-सिद्धान्त और अपनी राजनीतिक वजूद का आत्मसमर्पण कर दिया है। जिस लालू प्रसाद और उनके बेटों ने दलित समाज के मुख्यमंत्री को पद से हटाने की साजिश रची, निरंतर दलित नेताओं को कलंकित, अपमानित किया है। इसके सबूत रामसुंदर दास से लेकर कमल पासवान तक थे। उन्हीं के यहां सिर्फ बेटे को एमएलसी बनवाने के लिए समर्पण कतई पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य नहीं है। इसका ही प्रकटीकरण कल होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी राजद के साथ जाने के मुद्दे पर पार्टी में काफी अर्से से बवाल मचा हुआ है। सिवाय पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल के कोई बड़ा नेता उनके साथ प्रदर्शित रूप में नहीं नजर आते हैं। विरोधी गुट का नेतृत्व नरेंद्र सिंह कर रहे हैं। गौरतलब है हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एनडीए छोड़, राजद के साथ जाने का फैसला कर लिया। लेकिन उनकी पार्टी के अधिकांश दिग्गज नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों में बेचैनी है।
उनके इस फैसले से सहमत नहीं। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह खुली मुखालफत कर रहे हैं तो पूर्व मंत्री महाचंद्र सिंह, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, उनके पुत्र राहुल शर्मा, पूर्व मंत्री अनिल कुमार आदि नेता मांझी के एकतरफा फैसले पर रहस्यमय चुप्पी साधे हैं।
लालू के खिलाफ 1990 में किया था विद्रहो
नरेंद्र सिंह ने घोषणा कर रखा है कि लालू प्रसाद और राजद के साथ किसी भी हाल में कोई समझौता नहीं होगा। नरेंद्र सिंह बिहार के जान पहचाने नेता हैं। नीतीश कुमार को 2005 में मुख्यमंत्री बनवाने में उनकी अहम भूमिका थी। 1990 के दौर में सबसे पहले लालू प्रसाद के खिलाफ विद्रोह का बिगुल भी नरेंद्र सिंह ने ही फूंका था। तब वह लालू मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री थे। बाद में जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनवाने और उन्हें बड़े दलित नेता के तौर पर मज़बूत बनाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। ऐसे में इनकी नाराजगी का असर हम पर कितना पड़ता है, यह कल आंका जाएगा।