इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
नये साल के पहले दिन, जब पूरा देश जश्न के मूड में था. बस इसी दिन बिहार में दो सियासी धमाके हुए. और ये दोनों धमाके दस सर्कुलर रोड के मुख्य द्वार से किये गये.
एक धमाका तेजस्वी ने किया. तब दिन का सूरज कुहासा भरे बादलों से ढका था. जबकि दूसरा धमाका लालू ने तब किया जब सर्द सुरमई शाम अंधेरे की कोख में समा रहा था.
तेजस्वी ने दो पन्नों का एक खुला पत्र बिहार की जनता के नाम लिखा. खुला ऐलान किया कि 2025 का यह साल इतिहास का टर्निंग प्वाइंट है, जहां बिहार के लिए एक नयी इतिहास गाथा लिखी जायेगी. तेजस्वी ने इस पत्र में कहीं नहीं लिखा कि चुनाव बाद उनकी सरकार बनेगी, अलबत्ता सीधा कहा कि नये आइडियाज, नये विजन और नयी ऊर्जा के साथ बिहार विकास गाथा लिखने को तैयार है.
जबकि लालू प्रसाद ने खुल्लमखुल्ला कहा कि हम नीतीश कुमार का स्वागत करने को तैयार हैं. हम उनकी पिछली गलतियों को माफ करने को तैयार हैं. वह आयें तो हम उनका स्वागत करेंगे. वह आयें और मिल कर काम करें.
क्या आप को लगता है कि ये दोनों बयान अनायास दिये और लिखे गये बयान हैं ? नहीं
एक जनवरी. साल का पहला दिन. सियासत का सबसा बड़ा बयान. जो भाजपा की रातों की नींद छीनने के लिए काफी है. मोदी-शाह की कमजोर होती ताकत और कमजोर होते आन-बान को सीधी चुनौती है.
लालू-तेजस्वी के ये विचार सुविचारित हैं. और फैसला को औपचारिक रूप देने के पहले माहौल बनाने के लिए हैं. ये बयान लालू के हामियों को नये साल का जहां तोहफा हैं वहीं नीतीश कुमार के मन में गुदगुदी पैदा करने वाला भी है. क्योंकि चंद रोज पहले मोदी और नड्डा ने जिस तरह बेआबरू करके नीतीश कुमार को दिल्ली से बैरंग लौटाया.
नीतीश दिल्ली में मोदी से मिलना चाहते थे। मोदीं ने इनकार कर दिया। नड्डा ने वक़्त दे कर नीतीश को चलता कर दिया।
उस जख्म पर ये लालू का नीतीश के लिए मरहम है.
तभी तो आज जब नीतीश से, लालू प्रसाद के दरवाजा खोले होने के आफर पर पूछा गया तो वह मंद मंद मुस्काये और चलते बने.
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नीतीश के प्रति राजद का रुख बदला, लालू ने दे दिया खुला ऑफर
हां अलबत्ता जदयू के संजय झा और ललन सिंह, जो भाजपा के स्लिपर सेल कहे जाने लगे हैं, के पैरों से जमीन हिलने लगी है.
यूट्यूब पर Haq Ki Baat में पूरा विश्लेषण देखिए. लिंक पहले कमेंट में मौजूद है.