जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सांसद संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष चुन लिया। दिल्ली में शनिवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। बैठक में केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए नवनिर्वाचित कार्यकारी अध्यक्ष ने आगे की रणनीति का खुलासा किया। कहा कि विशेष राज्य के दर्जा के लिए केंद्र से टकराव का रास्ता नहीं चुनेंगे, बल्कि बातचीत के जरिये रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
पहले से ही माना जा रहा था कि जदयू की कार्य समिति की बैठक में कोई बड़ा फैसला हो सकता है। वैसा ही हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश का स्वास्थ्य खराब चल रहा है और वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में जरूरत के मुताबिक सक्रिय नहीं हो सकते थे। इसीलिए कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। अब रोजमर्रे का कार्य संजय झा देखेंगे और कोई बड़ा नीतिगत फैसला लेना होगा, तब मुख्यमंत्री फैसला लेंगे।
————-
जेल से छूटे हेमंत, गरजे- झुकेंगे नहीं, लड़ेंगे
सुबह खबर आई कि जदयू ने केंद्र से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। एकबारगी राजनीतिक क्षेत्रों में सनसनी फैल गई। मोदी सरकार के भविष्य पर चिंता जताई जाने लगी, लेकिन संजय झा ने स्थिति साफ कर दी कि केंद्र से कोई टकराव नहीं होगा। आंदोलन या दबाव नहीं बनाया जाएगा। बातचीत के जरिये रास्ता निकालने की कोशिश होगी। संजय झा के कहने के बाद मोदी सरकार की चिंता कुछ कम हुई, लेकिन एक दबाव तो जदयू ने बना ही दिया है। ये 300 पार और 240 का फर्क है। इस बार मोदी सरकार बिना सहयोगियों के समर्थन के नहीं चल सकती। अभी तक भाजपा के किसी बड़े नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। संजय झा को वैसे भी भाजपा का करीबी माना जाता है। उनके भाजपा नेताओं से अच्छे संबंध हैं। अब देखना है कि बिना टकराव किए वे बिहार के लिए मोदी सरकार से क्या ले पाते हैं। अगले साल विधानसभा का चुनाव है, इसलिए संजय झा पर भी केंद्र से बिहार के लिए कुछ हासिल करने का दबाव रहेगा।
राजद ने खोल दिया भेद, भाजपा जदयू को निगलने को तैयार