सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST रिजर्वेशन में श्रेणी बनाने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान पुनर्विचार याचिका के लिए काफी सक्रिय थे। उन्होंने सभी दलों के दलित सांसदों से संपर्क किया था। कहा था कि वे एससी-एसटी आरक्षण के भीतर श्रेणी बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ फिर से विचार करने के लिए याचिका दायर करेंगे। कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए याचिका दायर की थी।
याद रहे सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) के आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था को बदल कर नई व्यवस्था देते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा, यानी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर मुहर लगाई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में क्रीमीलेयर बनाने का भी फैसला दिया था। कोर्ट के इस फैसले का कई दलित संगठनों ने विरोध किया था। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी आश्वस्त किया था, कि कोर्ट के इस फैसले को लागू करने के लिए वह राज्यों पर दबाव नहीं देगी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एससी-एसटी में वर्गीकरण के फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों के एक अगस्त के फैसले पर दाखिल दस पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई एरर नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने पर कई दलितों संगठनों ने स्वागत किया है। पहले भी केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम, जदयू सहित कुछ अन्य दलों ने क्रीमीलेयर बनाने, श्रेणी बनाने के फैसले का स्वागत किया था।
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