विशेष दर्जे की आड़ में जदयू-भाजपा नाकामी छिपा रहे : राजद

राजद ने जदयू-भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि विशेष राज्य की आड़ में डबल इंजन सरकार नाकामी नहीं छिपा सकती। अगर जदयू में सच्चाई है, तो भाजपा से नाता तोड़े।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू-भाजपा की सरकार ही बिहार को फिसड्डी बनाने, बदहाल बनाने की जिम्मेदार है। डबल इंजन की सरकार में विकास तेज होगा कह-कह कर राज्य को रसातल में पहुंचा दिया। नीतीश कुमार अब विशेष राज्य का दर्जा के नाम पर अपनी नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। ये बातें आज राजद के चार प्रवक्ताओं चित्तरंजन गगन , मृत्युंजय तिवारी, एजाज अहमद एवं आभा रानी ने प्रेस वार्ता में कहीं। जदयू विशेष राज्य की मांग कर रहा है और भाजपा विरोध कर रही है। दोनों नुरा कश्ती कर रहे हैं। अगर जदयू विशेष राज्य पर गंभीर है, तो भाजपा से नाता तोड़े।

राजद प्रवक्ताओं ने जदयू और भाजपा को बिहार की बदहाली के लिए जिम्मेवार बताते हुए विशेष राज्य के मुद्दे पर आपस में नूरा कुश्ती करने का आरोप लगाया है।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि जदयू और भाजपा दोनों का चरित्र ही विकास के नाम पर राजनीति करने का रहा है। नीतीश कुमार ने कहा था कि जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा हम उसी के साथ जायेंगे । भाजपा के साथ जाने वक्त जदयू और भाजपा ने कहा था कि डबल इंजन की सरकार बनेगी तो बिहार का विकास काफी तेजी से होगा। हकीकत यह है बिहार बँटवारे के बाद इन दोनों दलों ने हीं एक साजिश के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज नहीं मिलने दिया था। जबकि ” बिहार पुनर्गठन कानून 2000 ” में हीं स्पष्ट प्रावधान है कि बिहार की क्षति-पूर्ति के लिए विशेष प्रबंध किये जायेंगे। जबकि उसी क्रम में उतराखण्ड और छत्तीसगढ के गठन सम्बन्धी कानूनों में यैसा कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद उन्हें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले , इस माँग का सही वक्त 2000 था जब झारखंड बिहार से अलग हुआ और उतराखण्ड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।

उस समय केन्द्र मे एनडीए की सरकार थी, जिसका प्रमुख घटक जदयू था और राज्य में राबड़ी देवी जी के मुख्यमंत्रित्व में राजद की सरकार थी। झारखंड राज्य के औपचारिक गठन के पूर्व हीं 25 अप्रैल 2000 को हीं बिहार को बँटवारे से होने वाली क्षति-पूर्ति की भरपाई करने के लिए बिहार विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था। झारखंड राज्य के औपचारिक रूप से बिहार से अलग होने के बाद 28 नवम्बर 2000 को बिहार के सभी सांसदों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग की थी। प्रधानमंत्री जी द्वारा विस्तृत प्रतिवेदन तैयार करने के लिए तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री नीतीश कुमार जी के संयोजकत्व में एक कमिटी का गठन कर दिया गया । पर कमिटी की कभी बैठक हीं नही बुलाई गई। 3 फरवरी 2002 को को दीघा सोनपुर पुल के शिलान्यास के अवसर पर पटना के गांधी मैदान मे आयोजित सभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समक्ष हजारों बिहारवासियों के उपस्थिती में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी जी द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग दुहराई गई। जिस पर प्रधानमंत्री जी ने तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार जी की उपस्थिती में माँग को वाजिब करार देते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था। पर दिल्ली लौटने के क्रम में हवाई अड्डा पहुँचते हीं प्रधानमंत्री जी विशेष राज्य का दर्जा के बजाय विशेष पैकेज की बात करने लगे। पुनः राजद सरकार द्वारा हीं 2 अप्रैल 2002 को बिहार विधान सभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग दुहराई गई। 16 मई 2002 को राजद के नोटिस पर नियम 193 के तहत लोकसभा में चर्चा हुई , सभी दलों ने बिहार का पक्ष लिया पर पुरे चर्चा के दौरान नीतीश जी अनुपस्थित रहे।

केन्द्र की तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्जा सम्बन्धी फाईल को तो ठंढे वस्ते मे तो डाल ही दिया गया विशेष पैकेज भी नही दिया गया। इतना ही नहीं सामान्य रूप से मिलने वाली केन्द्रीय राशि भी बिहार को नहीं दी गई। दसवीं योजना अन्तर्गत सम विकास योजना से चार साल में 4000 करोड़ रूपए में मात्र 2500 करोड़ की योजना हीं स्वीकृत की गई। 1500 करोड़ नहीं दिया गया। इसी प्रकार दशम वित्त आयोग का 900 करोड़ रूपया भी नहीं दिया गया। केन्द्र की एनडीए के छः वर्षों के शासनकाल में इन्दिरा आवास और ग्रामीण रोजगार योजना में बिहार के हिस्से में 1800 करोड़ की कटौती कर दी गई। कृषि में छः वर्षों में बिहार का हिस्सा 600 करोड़ होता है और मात्र 60 करोड़ रूपया दिया गया । ग्रामीण विधुतीकरण पर जहाँ 10,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए , उसमें बिहार को एक पैसा नहीं दिया गया। इसी प्रकार एनडीए के छः वर्षों के शासनकाल में बाढ , जल प्रबंधन में बिहार को एक पैसा नहीं मिला ।छः वर्षों के एनडीए शासनकाल में मात्र 34 किमी एनएच दिया गया ।राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत वर्ष 2002 – 2003 में तो मात्र 18 लाख चालीस हजार रूपया बिहार को दिया गया ।

जब केन्द्र में यूपीए की सरकार बनी जिसमे राजद भी शामिल था तो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद जी के पहल पर बिहार को 1 लाख 44 हजार करोड़ का पैकेज मिला । ग्यारहवें वित्त आयोग ( 2007 – 2012 ) द्वारा 36,071 करोड़ और बारहवें वित्त आयोग ( 2012 – 2017 ) द्वारा 75,646 करोड़ रूपए बिहार को दिया गया। शिक्षा मद में 2, 683 करोड़ और स्वास्थ्य मद में 1819 करोड़ रूपए दिये गए। यूपीए सरकार में सड़क निर्माण के लिए 64,752 रूपए बिहार को मिला । बीआरजीएफ में बिहार के 38 जिलों में 36 जिलों को शामिल किया गया। राजीव गाँधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना के तहत बिहार के 44 , 872 चिरागी गाँवों को शामिल कर जिन गाँवों में बिजली नहीं गई थी वहाँ बिजली पहुँचाया गया और जहाँ पहले से थी वहाँ जीर्ण-शीर्ण तार और पोल को बदला गया। फूड फॉर वर्क , मनरेगा, पीएमजीएसवाई, सर्व शिक्षा अभियान, एनआरएचएम जैसी योजनाओं के माध्यम से प्रचुर मात्रा में बिहार को धन उपलब्ध कराया गया। बिहार में रेलवे का तीन-तीन कारखाने खोले गए।
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार और एनडीए की आज अजब हास्यास्पद स्थिति हो गई है। सरकार के मुखिया नीति आयोग के रिपोर्ट को स्वीकारते हुए विशेष राज्य का दर्जा की माँग कर रहे हैं वहीं सरकार के कई मंत्री नीति आयोग के रिपोर्ट को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं।

जदयू बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की माँग कर रह है तो भाजपा बिरोध में खड़ी है। भाजपा कह रही है कि बिहार को विशेष पैकेज मिल गया तो जदयू पूछ रही है कहाँ मिला बताइये।

यूपी : सपा ने शुरू किया हर घर झंडा, राहुल-प्रियंका करेंगे पदयात्रा

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427