बिहार में ‘Nitish Ka Pariwar‘ को बड़ा झटका लगा है। चार बार के सांसद Mohd Ali Ashraf Fatmi ( मो. अली अशरफ फातमी) ने जदयू से त्यागपत्र दिया है। मंगलवार को उन्होंने पार्टी के सभी पदों तथा प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वे दरभंगा से सांसद रह चुके हैं। पिछली बार वे मधुबनी से चुनाव लड़ना चाहते थे, पर बाद में कदम पीछे खींच लिए थे। इस बार सीटों के बंटवारे में दरभंगा और मधुबनी दोनों सीटों में से जदयू एक सीट भी नहीं ले पाया। दोनों सीटें भाजपा के पास चली गईं। ऐसी स्थिति में उनके लिए जदयू में रहना राजनीतिक आत्महत्या करना था, सो उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अपना इस्तीफा उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को भेज दिया है। इसके साथ ही ‘Nitish Ka Pariwar’ (नीतीश का परिवार) को बड़ा झटका लगा है।

Mohd Ali Ashraf Fatmi ( मो. अली अशरफ फातमी) के राजद में शामिल होने की संभावना है। राजद उन्हें दरभंगा अथवा मधुबनी से प्रत्याशी बना सकता है। फातमी के इस्तीफे से यह भी साफ हो गया है कि जदयू को भाजपा के साथ रहते हुए मुस्लिम वोट की उम्मीद छोड़ ही देनी चाहिए। फातमी जदयू के राष्ट्रीय महासचिव थे। उनके इस्तीफे का दरभंगा-मधुबनी पर जरूर असर पड़ेगा, ऐसा माना जा रहा है। उनके पास संसाधन भी है। वे राजद में गए, तो इससे राजद की स्थिति मजबूत होगी।

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Mohd Ali Ashraf Fatmi ( मो. अली अशरफ फातमी) का इस्तीफा साधारण बात नहीं है। जदयू और ‘Nitish Ka Pariwar’ (नीतीश का परिवार) को कितना बड़ा झटका है, यह इसी बात से साबित होता है कि उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के कई मुस्लिम नेताओं को एक साथ प्रेस वार्ता बुला कर प्रतिक्रिया देनी पड़ी। जदयू कार्यालय में पार्टी के विधान पार्षद खालिद अनवर, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशरफ हुसैन, नौशाद आलम, सलीम परवेज को एक साथ प्रेस वार्ता करनी पड़ी। नेताओं ने कहा कि फातमी के पार्टी छोड़ने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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