तेजस्वी का नया दांव, इन भूमिहार, राजपूत व दलित नेताओं के लिए मांगा भारत रत्न
तेजस्वी का नया दांव, इन भूमिहार, राजपूत व दलित नेताओं के लिए मांगा भारत रत्न। अगर महीने में 5 भारत रत्न दिए जा सकते हैं तो इन बड़े नेताओं की उपेक्षा क्यों?
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक नया दांव चल दिया है। ये दांव भाजपा को फंसानेवाला है। उन्होंने किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते हुए वंचित वर्गों, बहुजनों और समाजवादी सरोकारों के पैरोकार डॉ राम मनोहर लोहिया, बीपी मंडल, मा. कांशीराम, श्रीकृष्ण बाबू, वीपी सिंह एवं दशरथ माँझी जी को भी भारत रत्न देने की मांग कर दी है। पिछले महीने भर से कम समय में केंद्र की मोदी सरकार ने पांच भारत रत्न देने की घोषणा की है। इसीलिए इस मांग को खारिज करना आसान नहीं होगा।
तेजस्वी यादव ने जिन छह राष्ट्रीय नेताओं और प्रेरक व्यक्तित्व को भारत रत्न देने की मांग की है, उसमें दो सवर्ण हैं, दो पिछड़ा समुदाय के तथा दो दलित हैं। दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग पहले भी की जाती रही है। वे समाज के सबसे निचले पायदान से आते हैं, लेकिन वे देश के युवाओं के रोल मॉडल है, जिन्होंने अपनी संकल्पशक्ति से पहाड़ तक को काट दिया। अन्य नेताओं में लोहिया, वीपी सिंह और बीपी मंडल को भी भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से की जाती रही है। श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके शासन को कई मामलों में मॉडल माना गया है। उन्होंने बिहार के लिए कई बड़ी योजनाओं की शुरुआत की। कई उद्योग लगवाए। उन्हें सम्मान के साथ बिहार केसरी कहा जाता है। वीपी सिंह की प्रतिष्ठा मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के कारण सबसे ज्यादा है।
इसी तरह कांसीराम ने देश के कई प्रांतों में दलित और बहुजन समाज को अपने हक-हिस्सेदारी के लिए संगठित किया। बीपी मंडल ने ही पिछड़ों के आरक्षण का रास्ता प्रशस्त किया। इस तरह तेजस्वी यादव ने भाजपा की भारत रत्न वाली राजनीति में एक नया दांव चल दिया है। उनकी मांग का विरोध करना या मजाक उड़ाना किसी के लिए संभव नहीं होगा। यह भी स्पष्ट है कि जब आप पांच नेताओं और देश में विशिष्ट योगदान करनेवाले लोगों को भारत रत्न दे सकते हैं, तो इन छह को क्यों नहीं। देना है, तो इन्हें भी दीजिए। ये भी उस सम्मान के हकदार हैं।
तेजस्वी यादव के इस दांव का एक असर पड़ना तो तय है। अगर केंद्र सरकार भारत रत्न नहीं देती है, तो तेजस्वी हर सभा में इस मांग को उठाएंगे। इससे भाजपा समर्थक सवर्ण तेजस्वी का विरोध नहीं कर पाएंगे या उनका तेवर कमजोर पड़ेगा। अपने विरोधियों के तीखे विरोध को ठंडा करना भी रणनीति के हिसाब से जीत मानी जाएगी।
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