जातीय जनगणना पर एक जून को सर्वदलीय बैठक
बिहार में जातीय जनगणना पर एक जून को सर्वदलीय बैठक होगी। इससे पहले उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने कहा कि वे जातीय जनगणना के पक्ष में हैं।
जातीय जनगणना पर काफी उहा-पोह के बाद भाजपा तैयार हो गई है। उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने कहा कि वे जातीय जनगणना के पक्ष में हैं। इस तरह कई दिनों से जारी संशय आज समाप्त हो गया। अब न्यूज एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में जातीय जनगणना पर एक जून को सर्वदलीय बैठक होगी। यह बैठक संवाद कक्ष में शाम चार बजे से होगी। इसी के साथ यह तय हो गया कि बिहार में जातीय जनगणना होगा।
सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के सवाल पर भाजपा काफी संशय में थी। जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रण भेजा, तो सारे दलों ने अपनी सहमति दे दी। सबसे अंत में आज भाजपा की सहमति मिलने के साथ ही बैठक की तिथि भी घोषित हो गई।
जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक पर भाजपा की सहमति का अर्थ है कि यह प्रस्ताव अब बिहार कैबिनेट से भी पारित हो जाएगा तथा जातीय जनगणना की दिशा में कार्य शुरू हो जाएंगे। इससी के साथ यह भी तय हो गया कि अब जातीय जनगणना के सवाल पर बिहार की एनडीए सरकार बनी रहेगी और फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए से अलग राह पकड़ने के अटकलों पर भी विराम लग गया।
भाजपा को इस निर्णय तक पहुंचने में समय लगा, तो इसकी वजह भी है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं था। अब लगता है, केंद्रीय नेतृत्व पीछे हट गया है। उसे पता था कि इस सवाल पर नीतीश कुमार पीछे हटनेवाले नहीं हैं और अगर भाजपा अड़ी, तो उसे नीतीश कुमार के रूप में एक बड़े सहयोगी से हाथ धोना पड़ेगा। नीतीश के अलग होने का अर्थ था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की राह पर रोड़े खड़े करना। आखिर बिहारसे उसे बड़ी संख्या में सांसद मिलते रहे हैं। हालांकि, भाजपा के सहमत होने के बाद उसका सवर्ण आधार असहज होगा, हालांकि हिंदुत्व के नारे के साथ वह अब भी बना हुआ है। लेकिन बिहार में जातीय जनगणना के बाद पिछड़ों की बड़ी गोलबंदी हो सकती है, जिसका खामियाजा उसे उठाना होगा।
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