नीतीश के खाने में दवा दी जा रही, जिससे मेमोरी लॉस हो रही : लोजपा

नीतीश के खाने में दवा दी जा रही, जिससे मेमोरी लॉस हो रही : लोजपा। EX MP अरुण कुमार ने जांच की मांग की। ललन सिंह बोले टुटपुंजिया नेता का जवाब नहीं देते।

लोजपा के उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद अरुण कुमार ने सोमवार को बड़ा आरोप लगाया। कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खाने में ऐसी दवा दी जा रही है, जिससे उनकी मेमोरी लॉस हो रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ अधिकारियों तथा प्लांटेड नेताओं ने अपने कब्जे में ले लिया है। उन्हें कैप्टिव (बंधक) बना लिया है। राज्य की स्थिति कभी भी गड़बड़ हो सकती है। पूर्व सांसद ने यह आरोप मीडिया के सामने लगाया है।

पूर्व सांसद अरुण कुमार के आरोप पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से पत्रकारों ने प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि वे टुटपुंजिया नेताओं की बात पर प्रतिक्रिया नहीं देते। इस प्रकार उन्होंने लोजपा नेता के आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया।

इधर जदयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति पर एक बार फिर सवाल उठाया है। पूछा कि नरेंद्र मोदी की जाति पिछड़ों में आती है, फिर प्रधानमंत्री ने खुद को अतिपिछड़ा कैसे घोषित कर दिया। गुजरात में अतिपिछड़ा है ही नहीं। राजद प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रेस वार्ता करके कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोढ़ घांची जाति को पिछड़ा समुदाय में शामिल किए जाने को लेकर जमकर निशाना साधा और जाति के नाम पर राजनीतिक फरेब करने के गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब गुजरात में अति पिछड़ा समुदाय है ही नहीं तो फिर प्रधानमंत्री ने 27 अप्रैल 2019 को उत्तरप्रदेश के कन्नौज में खुद को अति पिछड़ा कैसे घोषित कर दिया?

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि अगर भाजपा में हिम्मत है तो उनके लगाए आरोपों का जवाब दे साथ ही देश में जाति आधारित गणना करवाने का काम करे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से कुछ गंभीर सवाल पूछे :

क्या ये सच नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान कर रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोढ़ घांची जाति से आते हैं जिनका कि गुजरात में ऐतिहासिक तौर पर सामाजिक और शैक्षणिक स्तर ऊंचा है।
ये सच्चाई है कि मोढ़ घांची समुदाय के लोग घांची समुदाय के अहमदाबादी घांची,चंपरनिया घांची, पटनी घांची, सिधपुरिया घांची, सुरती घांची का बना खाना नहीं खाते थे जो कि साल 1931 की जनगणना से स्पष्ट होता है। जबकि गुजरात में अधिक साक्षरता दर वाले मोढ घांची समुदाय, जिसकी साक्षरता दर साल 1931 की जनगणना के मुताबिक 40.59 फीसदी थी, जबकि समाज में कम साक्षरता वाले राजपूत समुदाय जिनकी उस समय साक्षरता दर 15 से 20 फीसदी थी और पटेल समुदाय जिनकी उस समय साक्षरता दर 25 से 30 फीसदी थी तो फिर बीजेपी ये बताए कि आखिर मोढ़ घांची पिछड़ा कैसे हो गया और राजपूत और पटेल समुदाय अगड़ा कैसे हो गया? बीजेपी ये बताए कि जब साल 1994 मोढ़ घांची जाति को ओबीसी में शामिल कर लिया गया,जैसा कि बीजेपी दावा कर रही है तो फिर बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने 1 जनवरी 2022 को फिर मोढ़ घांची जाति को पिछड़ी जाति में शामिल करने का नोटिफिकेशन दो बार क्यों जारी किया? बीजेपी इसी डर से देश में जाति आधारित गणना नहीं करा रही जिससे उसका फर्जीवाड़ा उजागर हो जायेगा? बीजेपी देश में जाति आधारित गणना इसलिए नहीं कराना चाहती है कारण कि नरेंद्र मोदी के नाम पर किया गया जातिगत फर्जीवाड़ा का खुलासा हो जायेगा?

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By Editor