जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर गांधी प्रतिमा के सामने अनशन पर बैठे हैं। गांधी जी सादगी के प्रतीक थे, लेकिन प्रशांत किशोर के साथ अनशन स्थल पर करोड़ों की चमचमाती हाईटेक वैन से विवादों में घिर गए हैं। जदयू और राजद ने इसे वीआईपी आंदोलन की संज्ञा दी है। चारों तरफ से हो रही आलोचनाओं के बाद जन सुराज ने सफाई दी है कि यह वैन अनशनकारियों के वाशरूम के कार्य के लिए है। तब भी लोग पूछ रहे हैं कि करोड़ों के वाशरूम की क्या जरूरत थी।
प्रशांत किशोर पहली बार किसी आंदोलन में उतरे और विवादों में घिर गए। हालांकि उनकी बिहार यात्रा के दौरान भी सैकड़ों की संख्या में नई गाडियां पीछे-पीछे दौड़ती थीं, तब भी सवाल उठा था कि इतनी राशि कहां से आ रही है। तब यह मुद्दा नहीं बन पाया था, लेकिन अब मामला राजधानी पटना का है, जिसमें अनशन स्थल पर नई चमचमाती वैन लगी है।
पीके की कोशिश थी कि बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन को किसी तरह हैईजैक कर लिया जाए। इसमें एक हद तक वे कामयाब होते दिख रहे थे, लेकिन नई चमचमाती वैन ने सब गुड़ गोबर कर दिया।
बिहार आंदोलन की धरती रही है। बिहार गरीब प्रदेश भी है। यहां आंदोलन जनता के बूते होते रहे हैं। कॉरपोरेट फंड से आंदोलन कभी हुए नहीं। आंदोलन के इस पीके कल्चर से हंगामा हो गया है। कई लोगों ने दिल्ली में केजरीवाल के आंदोलन को याद किया, जब वे इसी तरह वीआईपी अनशन कर रहे थे। सारी सुख सुविधाओं के साथ आंदोलन।
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राजद को हमेशा निशाने पर लेने वाले प्रशांत किशोर इस बार खुद ही राजद और आम लोगों के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया में लोग पीके से सवाल पूछ रहे हैं कि वीआईपी आंदोलन की क्या जरूरत थी। क्या यह बिहार की गरीबी का मजाक नहीं है।