Mumbai: Union Minister for Consumer Affairs, Food and Public Distribution, Ram Vilas Paswan addresses a press conference in Mumbai on Monday to brief about initiatives of his Ministry during the last one year. PTI Photo by Santosh Hirlekar (PTI5_25_2015_000131A)

लोक जनशक्ति पार्टी ने कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी पर दलित-विरोधी होने का आरोप लगाते हुए आज इनसे 18 सवाल पूछे। लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने नई दिल्‍ली में  संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आजादी के बाद 55 वर्षों तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की न केवल उपेक्षा की, बल्कि उन्हें लोकसभा चुनाव में हराया भी। 

उन्होंने सवाल किया कि नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्यों- मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी की संसद के केंद्रीय कक्ष में तस्वीरें लगी हैं, जबकि बाबा साहब की तस्वीर लंबे समय तक वहां नहीं लगने दिया गया। इतना ही नहीं, बाबा साहब को उनके कार्यकाल में न तो भारत रत्न से सम्मानित किया गया और न ही उनके जन्मदिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की गयी।

श्री पासवान ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आयोग, पिछड़ी जाति के लिए गठित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा नहीं दिये जाने, एससी/एसटी को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित नहीं होने देने तथा बाबा साहब से जुड़े स्थलों पर स्मारक नहीं बनाये जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इन सवालों का जवाब देना चाहिए।

लोजपा अध्यक्ष ने बसपा प्रमुख मायावती पर दलितों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2007 में जब उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार थी तो उन्होंने एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून को कमजोर करने का आदेश दिया। उस दौरान एक राज्यादेश भी निकाला गया, जिसमें इस कानून से जुड़े मामलों को दर्ज करने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों से उसकी पुष्टि की बात कही गयी थी। इसके साथ ही इस वर्ग की महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में चिकित्सा जांच में अपराध की पुष्टि होने पर ही मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था। उन्होेंने सुश्री मायावती से एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के बाद चुप्पी पर भी सवाल खड़े किये।

By Editor